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अमित शाह ने कहा : जल्द लागू होगी नई सहकारिता नीति, सहकारिता से साकार होगा समग्र विकास और आत्मनिर्भर भारत

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लखनऊ। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सहकारिता के माध्यम से देश के आर्थिक विकास का खाका खींचा जा रहा है। इस क्षेत्र में कई अहम बदलाव करने की तैयारी है। सरकार नई सहकारी नीति लाने को कृत संकल्प है। विस्तृत मसौदा कुछ ही समय में सामने रखेंगे। किसानों को जोड़ने के लिए कोआपरेटिव को आगे लाएंगे और पूरा फायदा उनके बैंक खातों में पहुंचाएंगे।

शुक्रवार को राजकीय पालीटेक्निक परिसर में सहकार भारती के सातवें राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन समारोह में अमित शाह ने कहा कि कृषि व्यवस्था में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) उसकी आत्मा हैं। कुछ ही समय में पैक्स का कंप्यूटराइजेशन कराकर उन्हें जिला सहकारी बैंकों से जोड़ेंगे। जिला सहकारी बैंकों को प्रदेश के कोआपरेटिव बैंकों से और उन्हें नाबार्ड से जोड़ा जाएगा। व्यवस्था पारदर्शी रखने के लिए कार्य संचालन स्थानीय भाषा में होगा। उन्होंने कहा कि मल्टीस्टेट (बहुराज्यीय) कोआपरेटिव सोसाइटी में भी परिवर्तन करने जा रहे हैं। इसके लिए वेबसाइट शुरू करके सभी के सुझाव लेंगे। उसके बाद विस्तृत मसौदा सामने रखेंगे।

अमित शाह ने कहा कि समितियों के प्रशिक्षण में भी आमूलचूल परिवर्तन करेंगे। अभी तक कुछ राज्यों में समिति चलाने वाले ही प्रशिक्षण पाते रहे हैं, लेकिन अब समितियों के प्राथमिक सदस्यों को प्रशिक्षित कराएंगे। उनको जिम्मेदार बनाकर समितियों की जवाबदेही भी तय करेंगे। उन्होंने कहा कि समितियों को नए क्षेत्रों से कैसे जोड़ा जाए इसके लिए टास्क फोर्स कार्य कर रहा है। किसी तरह की गड़बड़ी या अन्य गतिविधि सामने न आए इस पर काम कर रहे हैं। भूमि की उर्वरा शक्ति घट रही है, इसके लिए जरूरी है कि किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ाएं, अमूल इस योजना पर कार्य कर रहा है, ताकि आर्गेनिक खेती का पूरा फायदा किसानों को मिल सके। आर्गेनिक खेती की शुरुआत दो राज्यों से कराएंगे।

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अब दोयम दर्जे का नहीं हो सकेगा व्यवहार : सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोआपरेटिव के माध्यम से नई ऊर्जा के साथ विकास कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अलग विभाग बनाया, इसमें उन्हें काम करने का मौका दिया, वे इसे पद नहीं जिम्मेदारी मानते हुए अपने को सौभाग्यशाली समझते हैं। यह भी कहा कि अब कोआपरेटिव के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार नहीं हो सकेगा। बहुत कम समय में इसे साबित करके दिखाएंगे, क्योंकि समभाव से विकास सिर्फ सहकारिता के माध्यम से ही हो सकता है।

समस्या ही न बताएं समाधान भी सुझाएं : अमित शाह ने कहा कि सहकारिता की बेहतरी के लिए कई लोग मांगे रख रहे हैं, वे सिर्फ समस्या नहीं बताएं, बल्कि समाधान भी सुझाएं। नीति का मसौदा तैयार करके सरकार को दें। उस पर राज्य सरकारों के साथ बैठक करके प्रभावी रूप से लागू कराने का प्रयास करेंगे। 27 राज्यों व 600 जिलों में कार्य कर रहे सहकार भारती संगठन को सुझाव दिया कि वे राज्यों को तीन हिस्सों समृद्ध, विकासशील व सहकारिता के क्षेत्र में पिछड़े में बांटकर कार्य करें। समितियों में प्रशिक्षण, पारदर्शी चुनाव और नियमित आडिट कराने का संस्कार डालें। जिन राज्यों व गांवों तक पहुंच नहीं है वहां संगठन की शक्ति व सुगंध को बिखेरें।

समारोह में भावुक होकर शाह बोले, कार्यान्जलि देने को प्रयासरत हूं : केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि वैसे तो उन्होंने पैक्स से लेकर एपेक्स तक का चुनाव लड़ा व जीता है। इस विभाग की बारीकियों से परिचित भी हूं, इसीलिए कह सकता हूं कि बिना स्वार्थ के देश में सहकारिता को आगे बढ़ाने का कार्य सहकार भारती ही कर रहा है। इस संगठन के पुरोधाओं का नाम से उल्लेख करते हुए कहा कि जो बीज बोया गया था, वह आज वटवृक्ष के रूप में सामने है। बोले, वे भी उन्हीं से सीखते रहे हैं इसलिए आज का ये क्षण उन्हें बहुत भावुक कर रहा है। उनका प्रयास रहेगा कि वे कार्यान्जलि दे सकें। आत्मनिर्भर भारत की पूर्ति का साधन सहकारिता को बनाना है।

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लिज्जत पापड़, अमूल व इफको जैसी संस्थाएं सहकारिता की देन : अमित शाह ने कहा कि जो सहकारिता भारत की आत्मा से ओतप्रोत रही है, उसके बारे में लोग पूछते हैं कि ये कैसे टिकेगी? कहा कि उन्हें बताना चाहता हूं कि लिज्जत पापड़, अमूल, इफको जैसी संस्थाएं सहकारिता की ही देन है। इनमें सफलता की हजारों कहानियां हैं जिन्हें लोग सुन ही नहीं देख भी सकते हैं। इतना ही नहीं इस क्षेत्र का देश की आर्थिक विकास में अहम रोल है, उन्होंने इसे विस्तार से गिनाया। अब अर्थतंत्र को तेजी से बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करना है।

औरंगजेब के समय से अब तक श्रद्धालु दुखी थे, अब मिली शांति : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि औरंगजेब के समय से लेकर अब तक काशी जाने वाले श्रद्धालु संकरी गलियों में बाबा विश्वनाथ मंदिर को देखकर दुखी होते थे। अब प्रधानमंत्री ने भव्य व दिव्य कारिडोर बना दिया है। इसलिए काशी दर्शन को जरूर जाना वहां दर्शन के बाद उन्हें शांति मिलेगी। अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन रहा है, कुछ माह बाद उसके दर्शन का भी लाभ मिल सकेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि अधिवेशन में आए सभी लोगों को बाबा विश्वनाथ का प्रसाद व पुस्तिका जरूर दिलाएं।

देश के विकास का ग्रोथ इंजन बना उत्तर प्रदेश : केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रदेश कई आंदोलनों से जुड़ा रहा है। यहां की राजनीतिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई थी, आती-जाती सरकारों ने सहकारिता आंदोलन को खत्म होने के कगार पर पहुंचा दिया। 2017 में 300 से अधिक सीटें जीतकर भाजपा की सरकार बनने से अब देश में विकास के ग्रोथ का इंजन उत्तर प्रदेश बन गया है। उन्होंने कहा कि सारे माफिया, भ्रष्टाचार यूपी की सीमाओं के बाहर हो गए हैं।

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समाज को जोडऩे की सबसे अच्छी इकाई है सहकारिता : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समारोह में कहा कि समाज को जोडऩे की सबसे अच्छी इकाई सहकारिता है। उन्होंने कहा कि संस्कार है तो संस्कृति है और संस्कृति से ही राष्ट्रीय एकता व अखंडता सुनिश्चित होती है। सूबे में सहकारिता माफियाओं के खूनी पंजों में जकड़ी थी। सहकार भारती उसे आम लोगों तक पहुंचा रही है। योगी ने कहा कि गांवों में होने वाले यज्ञ के माध्यम से सहकारिता को सलीके से समझा जा सकता है। दुनिया की ताकतें कोरोना से परास्त हुई लेकिन भारत ने तीसरी लहर को आने से रोक दिया। उन्होंने कहा कि सहकारिता को हर जिले किसान व पशुपालकों तक पहुंचाना है।

स्थायी आर्थिक विकास के लिए हेल्थ कोआपरेटिव की जरूरत : सहकार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री उदय जोशी ने कहा कि देश के स्थायी आर्थिक विकास के लिए जरूरी है कि हेल्थ कोआपरेटिव होना चाहिए। साथ ही ईज आफ डूइंग बिजनेस सहकारिता की नीति के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कोआपरेटिव नीति बनाने, पंजीयन का मार्ग प्रशस्त करने का अनुरोध किया। इस मौके पर सहकार सुगंध स्मारिका का विमोचन, सहकार गीत व प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना पर वीडियो फिल्म का लोकार्पण हुआ। यहां केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा, प्रदेश के सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य, प्रदेश अध्यक्ष रामशंकर जायसवाल, महामंत्री प्रवीण जादौन आदि मौजूद थे।

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