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आज शुरू करेंगे PM नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान

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लखनऊ। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के लगातार प्रसार में छायी अनिश्चितता से घिरी दुनिया को आईना दिखाने का काम उत्तर प्रदेश ने किया है। दुनिया में इस संकट के कारण बड़ी तादाद में रोजगार छिनने की आशंकाएं थीं। ऐसे में जुझारू छवि वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न सिर्फ दूसरे राज्यों से प्रवासी प्रदेशवासियों को वापस लाने की मुहिम छेड़ी, बल्कि साथ ही उन्हेंं रोजगार मुहैया कराने की कसरत भी शुरू कर दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की तो योगी आदित्यनाथ ने उसी तर्ज पर आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान का तानाबाना बुन लिया। अब इतने कम समय से एक करोड़ से अधिक रोजगार सृजित कर चुकी योगी आदित्यनाथ सरकार के मेगा शो में इस महत्वपूर्ण अभियान का शुभारंभ शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। शुक्रवार सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाले इस कार्यक्रम की हर तैयारी को टीम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को अपनी टीम के साथ परखा।

लॉकडाउन में जितनी औद्योगिक इकाइयां बंद थीं, उन सभी को 18 जून के बाद दोबारा चालू कराया गया है। इसमें कुल 7 लाख 8 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं, जिसमें करीब 42 लाख कामगारों को समायोजित किया जाएगा। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों की सहायता के लिए बैंकों से 20% अधिक अतिरिक्त धनराशि कर्ज के तौर पर मुहैया कराई जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद उत्तर प्रदेश के 2 लाख 21 हजार इकाइयों को 5000 करोड़ का कर्ज बाटेंगे।

चीन से निकले कोविड -19 ने सामान्य श्रमिकों और खासकर, प्रवासी कामगारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इससे विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार वापस लौटे हैं। इसके चलते सरकार के सामने कोविड-19 से निपटने के साथ ही प्रवासी और ग्रामीण श्रमिक-कामगारों को मूलभूत आवश्यकता की वस्तुएं और आजीविका के साधन उपलब्ध कराने की चुनौती आ खड़ी हुई। इसे देखते हुए भारत सरकार ने विभिन्न सेक्टरों को सहारा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की। देश के पिछड़े इलाकों में एक मजबूत आधारभूत ढांचा खड़ा करते हुए रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से 20 जून 2020 को गरीब कल्याण रोजगार अभियान की शुरुआत की गई।

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उत्तर प्रदेश में 30 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिक-कामगार वापस आए। राज्य के 31 जिलों में वापस लौटने वाले श्रमिकों-कामगारों की संख्या 25,000 से अधिक रही। इनमें पांच तेजी से उभरते हुए जिले भी शामिल हैं। इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार की योजना की तर्ज पर आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान के रूप में एक पहल की। इसमें राज्य सरकार के साथ ही उद्योग जगत और अन्य संस्थाओं की भी भागीदारी है। इस अभियान का लक्ष्य रोजगार प्रदान करने, स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक संगठनों और अन्य संस्थानों को एक साथ जोड़ना है।

यूपी सरकार का दावा है कि कोरोना के इस संकट काल में ही सरकार उद्योग, निर्माण परियोजनाओं, मनरेगा आदि के माध्यम से एक करोड़ दस लाख के करीब रोजगार सृजित कर चुकी है। अभी रोजगार की रफ्तार को और बढ़ाना है। इसके तहत ही प्रधानमंत्री इस अभियान का शुभारंभ शुक्रवार को सुबह 11 बजे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे। इस वर्चुअल लांचिंग के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही संबंधित विभागों के मंत्री भी मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर उपस्थित रहेंगे।

कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार के बीच लॉकडाउन के बाद यह देश का सबसे बड़ा रोजगार देने वाला कार्यक्रम है। प्रदेश में ही प्रवासियों को रोजगार देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक्शन प्लान तैयार किया है। इसके तहत कल पीएम नरेंद्र मोदी यूपी के सवा करोड़ लोगों को रोजगार देने के कार्यक्रम में ऑनलाइन शिरकत करेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी इस दौरान गोरखपुर व जालौन सहित छह जिलों के श्रमिक-कामगारों से बात भी करेंगे। इनके साथ ही कुछ श्रमिक व कामगारों से भी वह संवाद करेंगे। इस कार्यक्रम में महिलाएं भी पीएम नरेंद्र मोदी से अपना अनुभव साझा करेंगी। लॉकडाउन में उत्तर प्रदेश में ही सबसे ज्यादा प्रवासी लौटे है। इनको सरकार ट्रेन के साथ बसों से वापस लाई है।

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छह जिलों के कामगारों से बात करेंगे पीएम मोदी

छह जिलों के श्रमिक-कामगारों से बात करेंगे मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सिद्धार्थनगर, गोंडा, बहराइच, गोरखपुर, संत कबीरनगर और जालौन के श्रमिक-कामगारों से बात भी करेंगे। उनके मुंह से रोजगार और स्वरोजगार में सफलता की कहानी भी सुनेंगे।

बंटेगा 9126 करोड़ का लोन

औद्योगिक इकाइयों को बंटेगा 9126 करोड़ का लोन इस मेगा शो में सरकार कई बड़े कदम उठाने जा रही है। 1.25 करोड़ कामगारों का विभिन्न परियोजनाओं में नियोजन करने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 2.40 लाख इकाइयों को 5900 करोड़ रुपये, जबकि 1.11 लाख नई इकाइयों को 3226 करोड़ रुपये का लोन बांटा जाएगा। इसके साथ ही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना और एक जिला एक उत्पाद योजना में पांच हजार कारीगरों को टूल किट का वितरण किया जाएगा।

अपर मुख्य सचिव सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग विभाग नवनीत सहगल ने बताया कि योगी आदित्यनाथ सरकार अब तक का सबसे बड़ा रोजगार प्रबंधन का काम करने जा रही है, जिसमें कई लोगों को नौकरी की चिट्ठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद देंगे।29 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में जिन प्रमुख औद्योगिक संस्थाओं ने एक एमओयू पर हस्ताक्षर कर यह फैसला लिया था कि प्रवासी मजदूरों को बड़ी तादाद में रोजगार मुहैया कराएंगे। सभी संस्थाएं 11 लाख प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन संस्थाओं की तरफ से 2 लाख प्रवासी कामगारों को नियुक्ति पत्र देंगे।

ग्राम विकास और पंचायती राज विभाग ने पूरी की तैयारी

दूसरे राज्यों से श्रमिक और कामगारों की सुरक्षित वापसी के साथ सरकार ने बड़ा संकल्प यह हाथ में लिया कि प्रदेश लौटे सभी लोगों को यहीं रोजगार दिया जाएगा। विपक्ष जहां रोजगार की स्थिति पर सवाल उठा रहा है, वहीं सरकार का दावा है कि एक करोड़ रोजगार के अवसर सृजित कर लिए गए हैं। उपलब्धि का मेगा शो कल होगा। इसके साथ ही सरकार अगले बड़े लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाने जा रही है। सरकार ने दूसरे राज्यों से लौटे लोगों में से लगभग सभी यानी 36 लाख की स्किल मैपिंग कराई है। औद्योगिक संस्थाओं के साथ समझौता हुआ है, जिसके तहत उद्यमियों से संपर्क कर सर्वे भी किया गया है कि कहां पर कुशल-अकुशल श्रमिक-कामगारों की कितनी जरूरत है। अभी इस सर्वे की पूरी रिपोर्ट आना बाकी है, उससे पहले ही केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं, निर्माण परियोजनाओं, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम इकाइयों व मनरेगा सहित अन्य सभी विभागों को लगाकर रोजगार की तलाश कराई गई। सरकार का दावा है कि इसके तहत एक करोड़ से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हो चुके हैं।

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श्रमिक-कामगारों को ऋण भी दिलाएगा एमएसएमई विभाग

एमएसएमई विभाग अभी तक उद्यमियों को ऋण दिलाने में ही सक्रिय भूमिका निभा रहा था। अब मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि सरकार की योजनाओं में यदि श्रमिक-कामगार भी ऋण पाने के पात्र हों तो एमएसएमई विभाग बैंकों से समन्वय कर उन्हेंं ऋण दिलाए। सरकार का मानना है कि इससे स्वरोजगार और रोजगार, दोनों ही बढ़ेंगे। लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा 35 लाख प्रवासी मजदूर यूपी लौटे हैं।

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