कानपुर: आखिरकार उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस को हो क्या गया है,,, कभी कानून का पाठ पढ़ाती है तो कभी खुद कानून का मुजरिम बन जाती है,,, जिसका ताजा मामला फिर से देखने को मिला,,, जहां कर्नलगंज थाने के अंदर बावर्दी एक सिपाही घण्टों नशेबाजी करता रहा,,, लेकिन थाने में तैनात दरोगा प्रमोद कुमार मीडिया से यह पूछतें रहें कि यह सिपाही किस थाने में तैनात है,,, जबकि विभाग खुद उनका था,,, और मौकें में होने के बाद भी जिम्मेदारी खुद उनकी थी,,, देखिए एक सवाल और इस नशेबाज सिपाही का कर्नलगंज थाने के अंदर नशे का ड्रामा,,,
इन दोनों ड्रामे को देख आप भी बता सकतें हैं कि गलत कौन है,,, यह नशे में धुत्त सिपाही कि सवाल पूछने वाले दरोगा प्रमोद कुमार,,, जिनको अधिकार है कि गलत करने वाला उनकी नजरों में कानून का मुजरिम है,,, उसके बावजूद सिपाही द्वारा घण्टों नशेबाजी के दौरान इस चाय वाले को धमकाने में देखा गया,,, जहां थाने के अंदर मुंशीयाने में भी सिपाही नशेबाजी करता रहा,,, इसे भी देख लीजिए,,,
देर हो चुकी थी,,, थाने में मौजूद पुलिस इस चाय वाले को धमका रही थी,,, लेकि इस नशेबाज सिपाही का नाम तक नही बता रही थी,,, तभी सिपाही की नेम प्लेट पर गौर फरमाइए गया तो उसमे अतुल प्रधान लिखा हुआ था,,, जिसकी जानकारी आलाधिकारियों को दी गयी तो उन्होंने भी आधी अधूरी कार्रवाई कर डाली,,, जिसके चलते नशेबाज सिपाही को सस्पेंड कर दिया,,, लेकिन सिपाही के जुर्म और चाय वाले को वापस जाने वाले दरोगा पर कोई कार्रवाई नही की,,, क्यों,,,
दरअसल इसकी हकीकत के पीछे आलाधिकारियों की छूट का नतीजा है कि उनकी आधी अधूरी कार्रवाई से अधीनस्थ कर्मचारियों को मनोबल मिलता है,,, जिसका खामियाजा उस वक्त देखने को मिलता है जब बिकरु काण्ड के चर्चित चौबेपुर थाने में तैनात तत्कालीन एसएचओ विनय तिवारी या बर्रा थाने में तैनात इस्पेक्टर रणजीत राय कज़ चेहरा सामने आता है,, जिन्होंने पूरे प्रदेश की खाकी पर दाग लगाने का काम किया है,,,।