नीरज शर्मा की खबर
गंग नहर स्थित श्री गुरु काष्र्णि उदासीन आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा
बुलंदशहर। नगर के गंग नहर स्थित श्री गुरु काष्र्णि उदासीन आश्रम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में बृहस्पतिवार को सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन किया गया। इस दौरान कृष्ण-सुदामा के मिलन की कथा सुनकर श्रोताओं के आंखों में आंसू भर आए। वहीं, श्रीकृष्ण-राधा व सुदामा की सजाई गई झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही।
आज यानी शुक्रवार को हवन यज्ञ के बाद कथा का समापन होगा। मथुरा से आए कथा व्यास स्वामी काष्र्णि विश्वचैतन्य ब्रहचारी ने अंतिम दिन सुदामा चरित्र की लीला का भावपूर्ण वर्णन किया। कहा कि सुदामा एक दरिद्र ब्राह्मण थे, जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में शिक्षा ली थी। दरिद्रता तो जैसे सुदामा की चिरसंगिनी ही थी। एक टूटी झोपड़ी, दो-चार पात्र और लज्जा ढकने के लिये कुछ मैले और चिथड़े वस्त्र, सुदामा की कुल इतनी ही गृहस्थी थी। दरिद्रता के कारण अपार कष्ट पा रहे हैं। पत्नी के आग्रह को स्वीकार कर कृष्ण दर्शन की लालसा मन में संजोये हुए सुदामा कई दिनों की यात्रा करके द्वारका पहुंचे। द्वारपाल के मुख से सुदामा शब्द सुनते ही भगवान श्रीकृष्ण ने जैसे अपनी सुध-बुध खो दी और वह नंगे पांव ही दौड़ पड़े द्वार की ओर। दोनों बाहें फैलाकर उन्होंने सुदामा को हृदय से लगा लिया। भगवान श्रीकृष्ण सुदामा को अपने महल में ले गये। उन्होंने बचपन के प्रिय सखा को अपने पलंग पर बैठाकर उनका चरण धोया। कृष्ण के नेत्रों की वर्षा से ही मित्र के पैर धुल गये स सुदामा खाली हाथ अपने गांव की और लोट पड़े और मन ही मन सोचने लगे कृष्ण ने बिना कुछ दिए ही मुझे वापस आने दे दिया। सुदामा जब गांव पंहुचा तो देखा झोपड़ी के स्थान पे विशाल महल खड़ा है। प्रदीप गोयल ने बताया कि शुक्रवार को हवन के साथ भगवत कथा की समाप्ति होनी है। हवनयज्ञ में धर्मप्रेमियों को शामिल होने का आहवान किया। कथा में गोपाल कृष्ण गौतम, बलदेव बधवा, रामकिशोर शर्मा, सुभाष अग्रवाल, उमेश शर्मा, बृजेंद्र लोधी, रजनी शर्मा, रूकमणी शर्मा, प्रीति गुप्ता और चारू अग्रवाल समेत अन्य श्रद्धालु शामिल हुए।