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जीएसटी और आयात शुल्क बचाने के लिए यूपी विधानसभा चुनाव में चली ‘हवाला’ की एंट्री, की चाल

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नोएडा। स्टेटिक्स सर्विलांस टीम (एसएसटी) ने विधानसभा चुनाव के दौरान जो कालाधन पकड़ा था, उसका एक छोर पकड़कर अब कालेधन के कुबेरों की खोज में आयकर विभाग की कई टीम निकल चुकी हैं। कालाधन मामले में जिनके नाम अब तक सामने आए हैं, उन सभी की प्रापर्टी, व्यवसाय, आयकर रिटर्न सहित चल-अचल संपत्ति का ब्योरा आयकर विभाग खंगाल रहा है। माना जा रहा है कि इसके तार कर चोरी के साथ ही हवाला कारोबार से भी जुड़े हो सकते हैं।

विभागीय सूत्रों का कहना है कि जिस फार्च्यूनर से करीब एक करोड़ रुपये एसएसटी ने जांच के दौरान पकड़ा था, आशंका थी कि इस कालाधन का इस्तेमाल विधानसभा चुनाव में हो सकता है। जब फार्च्यूनर चालक से पूछताछ की गई, तो उसने बताया कि यह धन दिल्ली के एक कपड़ा व्यापारी जैन के यहां से उठाया था। हालांकि व्यापारी जैन ने यह पैसा खुद का होने से इन्कार कर मित्र खुराना का बताया। वहीं खुराना ने भी धन खुद का न होने की बात कही। खुराना नौकरी करते हैं। ऐसे में उनके सेल कंपनियों के साथ संलिप्ता के तार को खंगाला जा रहा है। ऐसे में वाहन मालिक मिसेज अग्रवाल से पड़ताल की गई तो उन्होंने धन तो छोडि़ए, वाहन तक की मालकिन होने से इन्कार कर दिया।

उन्होंने बताया कि इन लोगों के पास मकान का पता नहीं था। ऐसे में मेरे नाम से वाहन खरीद लिया है। वहीं इस जांच में अधिकारियों को यह पता चल गया कि मिसेज अग्रवाल आयात-निर्यात कारोबार से जुड़ी हैं। ऐसे में फार्च्यूनर चालक से मिली जानकारी में यह तथ्य सामने आया है कि दिल्ली-एनसीआर के औद्योगिक इकाइयों में चीन, ताइवान, जर्मनी, यूएसए, स्पेन, कनाडा से कम बिल पर कच्चा माल आयात हो रहा है। यह कच्चा माल ऐसे-वैसे व्यापारियों के नाम पर मंगवाया जाता है।

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पोर्ट पर उतरने के बाद जब नोएडा स्थित दादरी, दिल्ली स्थित तुगलकाबाद व पटपड़गंज में कच्चा माल पहुंच जाता है, तब कारोबारी अधिकारियों से सांठ-गांठ कर आयातित कुल माल को कम बिल पर आयात शुल्क चुकाकर उठा लेते है। बाद में कम बिल पर आए माल के रकम का भुगतान करने के लिए नकद पैसा हवाला कारोबार से जुड़े एजेंट के माध्यम से कच्चा माल भेजने वाली कंपनी के पास भेज दिया जाता है। इससे कारोबारी कम आयात शुल्क पर ही जीएसटी चुकाता है। इससे कारोबार कर जितना मुनाफा नहीं कमाया जा सकता है, उससे कही अधिक टैक्स चोरी से रकम बना ली जाती है। बाद में यह माल नकद बेचकर कालाधन जमा किया जाता है। इसे हवाला एजेंटों के जरिए मामूली कमीशन पर कारोबारी कालाधन को सफेद धन में बदलवा लेते हैं।

यह कार्य देश में संचालित सेल कंपनियों के माध्यम से विदेश तक में हो रहा है। इसमें नोएडा समेत एनसीआर में पूरा सिंडीकेट कार्य कर रहा है। पूरे सिंडीकेट का पता लगाने का काम आयकर की टीम ने शुरू कर दिया है। हालांकि कोरोना संकटकाल का हवाला देकर अधिकारी अभी और जानकारी देने से इन्कार कर रहे हैं, लेकिन इतना जरूर कह रहे हैं कि जल्द ही प्रकरण का पर्दाफाश होगा।

इन गाड़ियों का हुआ इस्तेमाल

  • फार्च्यूनर
  • क्रेटा
  • सेल्टोस
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