लखीमपुर खीरी. तिकुनिया कांड के 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, पर जांच अभी भी जारी है। एसआईटी को इस मामले में दो संदिग्धों की तलाश है, जो घटना में प्रयोग की गई स्कार्पियो कार में मौजूद थे।
तीन अक्तूबर 2021 को हुए तिकुनिया कांड में एसआईटी ने सोमवार को ही चार्जशीट दाखिल की है। इसमें केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को मुख्य आरोपी, साजिशकर्ता बताते हुए एसआईटी ने 14 के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दायर किया है।
एसआईटी ने भले ही आरोप पत्र दाखिल किया हो, लेकिन अभी जांच जारी है। एसआईटी सूत्रों का कहना है कि तिकुनिया कांड के मुकदमे की विवेचना अभी पूरी नहीं हुई है। एसआईटी को दो संदिग्धों की तलाश अभी भी है, जो घटना वाले दिन स्कार्पियो में मौजूद थे। स्कार्पियो मंत्री के रिश्तेदार वीरेंद्र शुक्ला की बताई गई है।
बताया जाता है कि घटना के वक्त प्रयुक्त तीनों कारों थार, फार्चुनर और स्कार्पियो पर बैठे सभी आरोपियों की एसआईटी ने पहचान की, लेकिन दो संदिग्धों का पता अभी नहीं चल सका है। इन संदिग्धों की पहचान की कवायद एसआईटी कर रही है। अभी तक उनके नाम सामने नहीं आए हैं। कार सवार दोनों संदिग्धों की पहचान में एसआईटी लगी है, लिहाजा विवेचना अभी जारी है।
साथ ही आरोपी आशीष मिश्र उर्फ मोनू, सुमित जायसवाल, अंकित दास, लतीफ उर्फ काले, सत्यम त्रिपाठी और नन्दन सिंह विष्ट के खिलाफ शस्त्र अधिनियम की अलग-अलग धाराएं भी बढ़ा दी हैं। अब जमानत के लिए आरोपियों को नए सिरे से प्रयास करना होगा।
मामले की एफआईआर दर्ज होने के बाद विवेचना के दौरान तीन बार धाराएं बदली गई हैं। शुरुआती एफआईआर में नामजद मंत्री पुत्र समेत विवेचना में प्रकाश में आए आरोपियों पर कई धाराएं लगाई गई थीं। बाद में एसआईटी ने हत्या, बलवा के साथ जानलेवा हमले, गम्भीर चोटें पहुचाने और शस्त्र अधिनियम की धाराएं बढ़ाने की अर्जी दी थी। साथ ही पहले से दर्ज उपेक्षा और लापरवाही की धाराएं हट गई थी। इसके बाद अब चार्जशीट पर धारा 34 (एकराय होकर), 427 व एमवी एक्ट 177 भी बढ़ा दी है। इसके अलावा अलग-अलग आरोपियों पर आर्म्स एक्ट की धाराएं भी लगाई गईं।
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एसपी यादव ने बताया कि आशीष मिश्र उर्फ मोनू समेत कई आरोपियों ने एफआईआर में दर्ज धाराओं में पहले ही सीजेएम कोर्ट और उसके बाद जिला जज की कोर्ट में जमानत अर्जियां दाखिल की थीं, जो निरस्त हो चुकी हैं। आरोपी आशीष मिश्र ने तो जिला जज की कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में भी अपनी जमानत अर्जी दाखिल कर दी है। लेकिन आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अब परिदृश्य एक बार फिर बदल गया है। अब सभी आरोपियों को अपनी जमानत के लिए नए सिरे से पैरवी शुरू करनी होगी।
-एसआईटी की ओर से दाखिज चार्जशीट में वैसे तो 5 हजार पन्ने हैं। पर 95 पन्नों में इन सबकी व्याख्या की गई है। इसमें सभी आरोपियों का घटना वाले दिन का रोल बताया गया है। साथ ही उनकी मौजूदगी साबित करने के लिए दिए गए साक्ष्यों का ब्योरा भी है। इसमें लग-अलग आरोपी के संबंध में अलग-अलग साक्ष्यों का जिक्र किया गया है।
एसआईटी को जिनके खिलाफ वीडियो साक्ष्य मिले हैं, उनका अलग ब्योरा है। जिनके खिलाफ गवाही हुई है, उनका ब्योरा अलग से है। मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा की मौजूदगी के बारे में गवाहियां दर्ज की गई हैं। इन सभी गवाहियों का ब्योरा अदालत के सामने प्रस्तुत किया गया है। इनमें कई गवाहों ने दावा किया है कि उन्होंने मंत्री पुत्र को घटनास्थल से भागते हुए देखा। कइयों ने उसके कपड़ों के रंग का भी जिक्र किया।
एसआईटी ने चार्जशीट में दावा किया कि घटनास्थल के लिए दंगल से निकली कारों में कुछ लोग रास्ते में बिठाए गए थे। चार्जशीट में लिखा गया कि बनवीरपुर गांव में दंगल चल रहा था। इस दंगलस्थल से घटनास्थल के बीच के दो स्पॉट एसआईटी ने चिह्नित किए,जहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे।
पहले स्पॉट के सीसीटीवी फुटेज में तीनों गाड़ियां दिखाई दीं, लेकिन उनमें बाहर से कोई लटका नहीं दिखाई दे रहा था। पर अगले स्पॉट पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में इन कारों पर बाहर से कुछ लोग लटके हुए दिखाई दिए। एसआईटी ने माना है कि ये लोग रास्ते में मौजूद थे, जिनको गाड़ियों में बिठाया गया। कुछ लोग बाहर से लटक भी गए।
चार्जशीट दाखिल होने के अगले दिन बचाव पक्ष को दिए जाने वाले दस्तावेजों का ब्योरा तैयार किया जाता रहा। एसपीओ एसपी यादव ने बताया कि सुनवाई के लिए दस तारीख लगी है। उस दिन या उससे पहले भी कुछ बयानों की कॉपी व अन्य जरूरी दस्तावेज अभियुक्तों को उपलब्ध कराए जाने हैं। इसके लिए दस्तावेजों का ब्योरा तैयार किया जा रहा है। वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी एसपी यादव ने बताया कि एसआईटी ने आरोपियों के खिलाफ जो आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया है। वह करीब पांच हजार पेज का है।
सीआरपीसी की धारा 207 के अनुपालन में आरोपियों को आरोप पत्र की प्रतिलिपियां दी जानी हैं। आरोप पत्र चूंकि पांच हजार पेज का है। विधिक रूप से सभी की प्रतिलिपि नहीं दी जा सकती है। इसलिए आरोपियों को दिए जाने वाले प्रपत्रों को चिन्हित किया जा रहा है।
शीघ्र ही आरोपियों को उनकी प्रतिलिपियां दे दी जाएंगी। एसपी यादव ने बताया कि विधिक राय के बाद ही चार्जशीट से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएंगे। उधर बचाव पक्ष के अधिवक्ता अवधेश सिंह ने बताया कि मंगलवार को उनको अभियोजन ने कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया है।