Home Breaking News नैनीताल में ला नीना के बावजूद नहीं हुआ हिमपात, जानिए क्‍या रहा कारण
Breaking NewsUttrakhand

नैनीताल में ला नीना के बावजूद नहीं हुआ हिमपात, जानिए क्‍या रहा कारण

Share
Share

नैनीताल: नैनीताल में इस बार हिमपात न होने से पर्यटकों और स्‍थानीय लोगों को निराश होना पड़ा। जबकि पिछले साल मानसून अच्‍छा होने के कारण लोगों को अच्‍छी बर्फबारी की उम्‍मीद थी। वहीं ला नीना का असर भी इस बार सरोवर नगरी में बर्फबारी नहीं करा पाया। आने वाले हफ्तों में भी हिमपात की संभावना नहीं नजर आ रही है। मौसम के जानकारों का मानना है कि हिमपात नहीं होने का मुख्य कारण कमजोर पश्चिमी विक्षोभ रहा है।

पिछले साल हिमपात व ओलों की चादर से दर्जन से अधिक बार नैनीताल सफेद रंग में तब्‍दील हो गया था। इस बार भी ला नीना के असर से अनुमान लगाया जा रहा था कि हिमपात का दौर जारी रहेगा। कई बार तापमान इसके अनुकूल बना भी, घने बादलों ने भी कई बार आस जगाई, मगर हिमपात नहीं हो सका। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के पर्यावरणीय वरिष्ठ विज्ञानी डा. नरेंद्र सिंह के अनुसार, इस बार समय से पहले पश्चिमी विक्षोभ ने दस्तक देनी शुरू कर दी थी, जिसका असर उच्च हिमालयी समेत कश्मीर व हिमाचल में तो देखने को मिला, लेकिन नैनीताल व मुक्तेश्वर वंचित रह गए। इसकी मुख्य वजह कमजोर पश्चिमी विक्षोभ रहा।

उन्होंने कहा कि अब भी शीतकाल का एक माह शेष है। साथ ही ऋतुओं की शिफ्टिंग का दौर भी चल पड़ा है। इसके चलते मार्च तक हिमपात व ओलावृष्टि की संभावना बनी हुई है। ला नीना का असर उत्तर भारत में भी देखने को मिला है। जिस कारण ठंड ने पुराने कई रिकार्ड तोड़े। आने वाले दिनों में शक्तिशाली पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुए तो बर्फबारी भी होगी।

See also  5 साल के बेटे ने पिता को पहुंचा दिया जेल, तकिए से मुंह दबाकर की थी पत्नी की हत्या

अधिक नमी के कारण कई बार हुई थी बर्फबारी

गत वर्ष मानसून के देर तक रहने तक वातावरण में नमी बहुत अधिक रही थी, जिस कारण बर्फबारी अधिक बार हुई थी। इसकी तुलना में इस बार मानसून जल्द ही विदा हो गया। आद्र्रता भी गत वर्ष की तुलना में काफी कम रही, जिस कारण इस बार मौसम का मिजाज डृाई रहा।

ला नीना समुद्री घटना, हवा की दिशा में बदलाव से होती 

ला नीना एक स्पैनिश भाषा एक शब्द है, जिसका अर्थ है छोटी बच्ची। ला-नीना मानसून का रुख तय करने वाली समुद्री घटना है, जो कि सात से आठ साल में अल-नीनो के बाद होती है। अल-नीनो में जहां समुद्र की सतह का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है, वहीं ला-नीना में समुद्र की सतह का तापमान कम होने लगता है। इसके पीछे बड़ी वजह हवा की दिशा में बदलाव होना है। इसमें समुद्री क्षेत्रों में हवा की रफ्तार 55 से 60 किमी रहती है। मैदानी क्षेत्रों में यह 20 से 25 किमी की गति से चलती है।

भूमध्य रेखा के पास से होता सक्रिय 

मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि ला-नीना भूमध्य रेखा के आसपास प्रशांत महासागर के करीब सक्रिय होता है। इसका असर अन्य महाद्वीपों में नजर आता है। प्रशांत महासागर का सबसे गर्म हिस्सा भूमध्य सागर के नजदीक रहता है। पृथ्वी के घूर्णन के कारण वहां हवा पूर्व से पश्चिम की ओर चलती हैं, जबकि ला-नीना में यह परिर्वितत होती रहती हैं।

Share
Related Articles
Breaking Newsअपराधराष्ट्रीय

पहलगाम हमला: चरमपंथियों ने पर्यटकों पर चलाई गोलियां, 20 से अधिक लोगों की मौत

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में दिल दहला देने वाला आतंकी हमले के बाद...