नोएडा। नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने अपने लाभ के आगे प्राधिकरण और सरकार के नुकसान और राजस्व को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अपने चहेतों को भूखंडों का आवंटन करते हुए 10 वर्षों में आवंटित किए गए सिर्फ 75 भूखंडों के आवंटन में बरती अनियमितता से नोएडा प्राधिकरण को 14 हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया। इन भूखंडों के आवंटन में बिना बोर्ड और शासन से अनुमोदन लिए ही अतिरिक्त एफएआर और अतिरिक्त भू-आच्छादन का लाभ दे दिया गया। मई 2006 से लेकर अगस्त 2016 के बीच लाई गईं योजनाओं में ग्रुप हाउसिंग और वाणिज्यक भूखंडों के लिए .5 से लेकर 3.5 तक एफएआर और पांच से 20 फीसद भू-आच्छादन मूल्यवृद्धि के बिना अनुमन्य किया गया। इसके लिए प्राधिकरण से शासन की अधिसूचना का भी इंतजार नहीं किया। अधिसूचना से पहले ही प्राधिकरण ने योजनाओं को ब्रोशर में शामिल करके आवंटियों को अतिरिक्त एफएआर और भू-आच्छादन का लाभ दे दिया। वर्ष 2009-10 में लाई गई वाणिज्यक बिल्डर भूखंड योजना के नौ में से आठ भूखंडों में राज्य सरकार द्वारा अनुमोदन के अधीन वक्तव्य शामिल करते हुए अधिक एफएआर और भू-आच्छादन का लाभ दे दिया।
सीईओ के अनुमोदन के बाद इस मामले में मार्च 2011 में लाई गई योजना में एफएआर 1 से बढ़ाकर 1.5 कर दिया गया और भू-आच्छादन 10 से 15 फीसद अनुमन्य कर दिया गया। बोर्ड से इस योजना का कार्योत्तर अनुमोदन भी नहीं लिया गया था। बढ़ाए गए एफएआर और भू-आच्छादन के बढ़े चार्ज को विक्रय मूल्य में शामिल नहीं किया गया। जिस कारण आवंटियों को बढ़े एफएआर और बढ़े भू-आच्छादन का लाभ तो मिला, लेकिन प्राधिकरण को इसका कोई लाभ नहीं मिला।
बढ़ाए गए एफएआर और भू-आच्छादन के बढ़े चार्ज को विक्रय मूल्य में शामिल न किए जाने से नोएडा प्राधिकरण को 13968.40 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसमें ग्रुप हाउसिंग के 55 आवंटन में 4546.35 करोड़ रुपये और 20 वाणिज्यक भूखंडों के आवंटन में 9422.14 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सीएजी की रिपोर्ट में इस तथ्य की पुष्टि करते हुए मामले की विवेचना करने के साथ उत्तरदायी अधिकारी व कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की बात भी कही है।