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पर्सनल साइबर इंश्योरेंस के नियम हुए जारी, जानिए कैसे प्रभावित करेंगे ये नियम

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कोरोना संकट के दौर में डिजिटल लेनदेन में इजाफा होने के साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी में भी तेजी आई है। इसे देखते हुए बीमा नियामक इरडा ने आम लोगों को ऐसी धोखाधड़ी से हुए नुकसान से बचाने के लिए व्यक्तिगत साइबर इंश्योरेंस के नियम जारी किए हैं। इसके लिए इरडा ने बीमाकर्ताओं के लिए दिशा-निर्देश (गाइडलाइन) जारी की है जिनके आधार पर बीमा उपलब्ध कराना होगा।

बीमा नियामक इरडा के दिशा-निर्देश के मुताबिक बीमा कंपनियों को अब निवेशकों की राशि, उनकी व्यक्तिगत पहचान,अनधिकृत ऑनलाइन लेन-देन से बचाने सहित अन्य तरह की गतिविधियों के लिए भी बीमा कवर देना होगा। ई-मेस स्पूफिंग जैसे अपराध से नुकसान का बचाव भी इसके दायरे में आएंगे। नियामक ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल लेन-देन में तेज वृद्धि हुई है जिसकी वजह से डिजिटल धोखाधड़ी भी बढ़ी है। लेकिन इसके लिए व्यक्तिगत बीमा उपलब्ध नहीं था। इससे आम लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा था। बीमा नियामक ने पहली बार व्यक्तिगत पहचान की सुरक्षा और सोशल मीडिया के जरिये हुए नुकसान के लिए भी बीमा पॉलिसी पेश करने को कहा है। हालांकि, नियामक ने इसमें बीमा कंपनियों के साथ बीमाधारकों के लिए भी कुछ शर्तें रखी हैं।

कब उपभोक्ता जिम्मेदार नहीं होंगे

इरडा ने दिशा-निर्देश में कहा है कि बैंक से जुड़ी धोखाधड़ी में यदि बैंक का आंशिक गलती या उसकी सहभागिता है तो उसके लिए बैंक पूरी तरह जिम्मेदार होंगे और इसके लिए उपभोक्ता को किसी तरह से जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है चाहे उसने बैंक से इसकी शिकायत की या नहीं। इसके अलावा किसी धोखाधड़ी में बैंक या उपभोक्ता की बजाय कोई तीसरा पक्ष शामिल होता है और उपभोक्ता तीन दिन के भीतर इस धोखाधड़ी की शिकायत करता है तो नुकसान की जिम्मेदारी उपभोक्ता की नहीं होगी।

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पासर्वड का जानकारी पर कोई मुआवजा नहीं

बीमा नियामक ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उपभोक्ता किसी से ऑनलाइन लेनदेन का पासर्वड या अन्य जानकारी साझा करता है जिसकी वजह से धेखाधड़ी होती है तो बैंक को उसकी जानकारी देने तक नुकसान की पूरी जिम्मेदारी उपभोक्ता की होगी। बैंक को सूचना देने के बाद हुए नुकसान की भरपाई बैंक की होगी। इसके अलावा यदि तीसरे पक्ष की वजह से धोखाधड़ी होती है और उपभोक्ता तीन दिन बाद बैंक को सूचना देता है तो पांच हजार रुपये से 25 हजार रुपये तक नुकसान की भरपाई जिसमें जो भी कम हो उपभोक्ता करेगा।

इनका होगा बीमा कवर

    • इरडा के मुताबिक राशि यानी फंड्स का भी बीमा कवर देना होगा। अभी तक केवल अचल संपत्ति का बीमा था।
    • पहली बार व्यक्तिगत पहचान की सुरक्षा का भी बीमा कर देने की बात कही गई है। यानी पहचान उजागर होने उससे हुए नुकसान की भरपाई बीमा पॉलिसी से होगी।
    • अनधिकृत ऑनलाइन लेन-देन के बीमा कवर का दायरा बढ़ाकर इसे ज्यादा स्पष्ट कर दिया गया है। अभी तक आरबीआई के दिशा-निर्देश के भरोसे उपभोक्ताओं की सुरक्षा सीमित थी।
    • ई-मेल स्पूफिंग यानी ई-मेल के जरिये आकर्षक पेशकश कर धोखाधड़ी जैसे अपराध भी इसके दायरे में आएंगे। इससे बचाव की भी बीमा मिलेगा।
    • सोशल मीडिया के जरिये हुए नुकसान से बचाव की भी बीमा मिलेगा। देश में पहली बार इसे बीमा के दायरे में लाया गया है।
    • डेटा की सुरक्षा का भी बीमा कवर मिलेगा। इससे हुए नुकसान या फिर से रिकवर करने की खर्च बीमा कंपनी उठाएगी।
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डिजिटल धोखाधड़ी से हुए नुकसान और उसके लिए कोर्ट आदि के खर्च की जिम्मेदारी भी बीमा कंपनी की होगी।संपत्ति के दस्तावेज का भी बीमा होगा। इरडा ने बीमाकर्ताओं को प्रापर्टी के टाइटल इंशोरेंस यानी संपत्ति के दस्तावेज के लिए भी बीमा पॉलिसी लेकर आने के निर्देश दिए हैं। कई मौकों पर बाढ़, आग या अन्य प्राकृतिक आपदा की वजह से संपत्ति के दस्तावेज नस्ट हो जाते हैं। इससे उपभोक्ताओं को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसे दोबारा हासिल करने के लिए कई बार मोटी राशि खर्च करनी पड़ती है।

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