देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि कोरोना की स्थिति पर मैं चितिंत हूं। मन में उथल-पुथल है। कोरोना की दूसरी लहर के इस प्रकोप से मैं बच तो जरूर गया, मगर इसने इतना कमजोर कर दिया है कि मैं उन सैंकड़ों युवाओं के लिए चिंतित हूं जो कोरोना से संघर्ष कर रहे हैं। ये उद्गार मंगलवार को उन्होंने अपने जन्मदिन पर इंटरनेट मीडिया पर जाहिर किए।
उन्होंने कहा कि युवा देश की पूंजी हैं और पूंजी कमजोर नहीं होनी चाहिए। हम छोटे राज्य हैं, हमारे संसाधन और कोरोना जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए ढांचागत सुविधाएं बहुत व्यापक और मजबूत नहीं हैं। सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, जिसमें लगभग लॉकडाउन लगाने का निर्णय भी है, मगर सरकार के प्रयास कभी पर्याप्त नहीं होते हैं, जब तक उसमें लोग न जुट जाएं। क्या यह संभव है कि हम अगले 15-20 दिन अपने घर में ही अपने को स्वबंधन कर्फ्यू नियंत्रित मान लें, ताकि सरकारी एजेंसियों पर बोझ कम हो सके, डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ भी नई स्थिति का मुकाबला करने के लिए थोड़ा और अपने को तैयार कर सकें, सरकार भी अपने संसाधनों को जुटाकर चुनौती का और बेहतर सामना करने के लिए तैयार हो सके।
मैं अपने व्यापारी बंधुओं से भी अनुरोध करना चाहता हूं, व्यापार संगठन एक स्वनियंत्रण, स्वानुशासन लागू करें ताकि कोरोना और मंहगाई की दोहरी मार से सामान्य व्यक्ति दम न तोड़े। सरकार को देखना है कि कोई भूख, अभाव से न मरे या कोई परिवार उससे त्रस्त हो जाए, ऐसी स्थिति न आए। कोरोना संक्रमण से प्रभावित करीब परिवारों की मदद की जाए। उन्हें ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाए।