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फिर सील होंगी सीमाएं? आखिर क्यों किसानों ने किया दिल्ली कूच का ऐलान, जानिए इसकी बड़ी वजह

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नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन सोमवार से और तेज होने जा रहा है। किसानों और प्राधिकरण के बीच दो दिन तक चली वार्ता के बाद भी मांगों को लेकर सहमति नहीं बन सकी। अब किसानों ने सोमवार को दिल्ली कूच करने की तैयारी प्रारंभ कर दी है। किसानों का कहना है कि सोमवार का प्रदर्शन ऐतिहासिक होगा। बड़ी संख्या में नोएडा के किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली कूच करेंगे और उससे पहले शुक्रवार को भी किसान वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के आवास पर प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। दरअसल, किसानों और प्राधिकरण अधिकारियों के बीच बुधवार देर रात तक और गुरुवार को कई बार वार्ता हुई। हालांकि, वार्ता सफल नहीं हो सकी।

भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष सुखवीर पहलवान ने कहा कि वार्ता में जो चीजें तय की गई थीं, वे लिखित में नहीं आईं, क्योंकि अधिकारी हमारी मांगों को लेकर गंभीर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। सोमवार को दिल्ली कूच में बड़ी संख्या में किसान शामिल रहेंगे।

एक और किसान अस्पताल में भर्ती : वहीं, नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसान आमरण अनशन पर बैठे हैं। गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद सुखवीर पहलवान सहित 11 किसान आंदोलन स्थल पर पहुंचे, जिनका अन्य किसानों ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। सुखवीर पहलवान ने कहा कि जब तक हमारी मांगें नहीं पूरी होती हैं तब तक वे अनशन समाप्त नहीं करेंगे, फिर चाहे भले ही उनके प्राण ही क्यों ना चले जाएं। आंदोलन स्थल पर गुरुवार को किसान रवि चौहान की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

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गौरतलब है कि बीते एक सितंबर से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ चल रहे 81 गांवों के किसानों के आंदोलन के समाप्त होने की चर्चा गुरुवार दिनभर चलती रही। आंदोलन खत्म कराने के लिए नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के द्वारा वार्ता के बाद तैयार किए गए एक पत्र पर हस्ताक्षर किए जाने थे। मगर इस पत्र को लेकर किसानों और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों में विवाद बढ़ गया। इसे लेकर किसानों का कहना था कि वार्ता के अनुसार इस पत्र में जिन बातों को प्राधिकरण के अधिकारियों को लिखना था, वे इसमें शामिल नहीं की गईं। प्राधिकरण की वादाखिलाफी को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

किसान बढ़ी हुई दर से मुआवजा देने, आबादी की समस्याओं का निस्तारण करने समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्राधिकरण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन में महिलाएं व बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। किसानों ने प्रशासन पर अनदेखी का आरोप लगाया है। किसानों का कहना है कि प्राधिकरण में बैठे अधिकारी खुद को कॉरपोरेट कंपनी का अधिकारी मानते हैं तथा उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि किसानों की जमीन पर ही उनका दफ्तर बना है। किसानों का कहना है कि जब तक उनकी सारी मांगें पूरी नहीं होंगी तब तक यह प्रदर्शन जारी रहेगा।

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