लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे भारत निर्वाचन आयोग ने मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अब उन विधानसभा सीटों पर फोकस बढ़ाया है, जहां पिछले चुनावों में कम मतदान होता रहा है। आयोग कम मतदान वाले बूथों को चिन्हित कर वहां विशेष अभियान चलाएगा। मतदाताओं को अधिक से अधिक मतदान के लिए प्रेरित किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में महिला और पुरुष मतदाताओं का अनुपात कम है, वहां इसे बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही सभी क्षेत्रों में सर्विस मतदाताओं की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम देखे जाएं तो 12 सीटें ऐसी हैं, जहां 40 से 50 फीसद के बीच मतदान हुआ था। 184 विधानसभा सीटों में 51 से 60 फीसद तक मतदान हुआ था। इसी प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में 21 सीटें ऐसी हैं, जहां 40 से 50 फीसद के बीच मतदान हुआ था। एक सीट में 40 प्रतिशत से भी कम मतदान हुआ था। भारत निर्वाचन आयोग ने कम मतदान वाले विधानसभा क्षेत्रों में विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार करने को कहा गया है। मतदाताओं को मतदान करने के लिए जागरूक किया जाएगा। इसके लिए प्रचार-प्रसार के सभी माध्यमों खासकर इंटरनेट मीडिया का भी इस बार खूब उपयोग होगा।
कई जिलों में महिला-पुरुष मतदाताओं का अनुपात काफी कम है। ऐसे जिलों को चिन्हित कर आगामी मतदाता पुनरीक्षण अभियान में विशेष ध्यान दिया जाएगा। यहां अधिक संख्या में महिला मतदाताओं के नाम जोडऩे के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। इन्हें मतदाता बनाने के साथ ही मतदान करने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। वहीं, प्रदेश में सर्विस मतदाताओं की संख्या बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। प्रदेश में करीब तीन लाख सर्विस वोटर हैं। सेना या अर्धसैनिक बलों में कार्यरत लोगों को सर्विस मतदाताओं की श्रेणी में रखा जाता है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने बताया कि सुनियोजित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता (स्वीप) कार्यक्रम के अंतर्गत होने वाली गतिविधियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसके तहत 18 वर्ष या इससे अधिक उम्र के मतदाताओं का शत-प्रतिशत नामांकन एवं मतदान में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
पिछले विधानसभा चुनावों का मतदान प्रतिशत
- वर्ष : मतदान प्रतिशत
- 2007 : 45.96
- 2012 : 59.52
- 2017 : 61.11