Home Breaking News अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, ताइवान में बड़ी घुसपैठ को दिया अंजाम, J-16, J-10 सहित 39 लड़ाकू विमान भेजे
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अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन, ताइवान में बड़ी घुसपैठ को दिया अंजाम, J-16, J-10 सहित 39 लड़ाकू विमान भेजे

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ताइवान के अधिकारियों का कहना है कि दर्जनों चीनी लड़ाकू विमान उसके हवाई क्षेत्र में फिर से दाखिल हुए. ताइवान ने भी विमानों को घेरने और अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली को सक्रिय करने के लिए लड़ाकू विमान आसमान में उड़ाए.ताइवान ने रविवार को एक बमवर्षक सहित अपने दक्षिण-पश्चिमी वायु रक्षा क्षेत्र (ADIZ) में 39 चीनी लड़ाकू विमानों के एक साथ प्रवेश की खबर दी है. ताजा घटनाक्रम पर बीजिंग की ओर से तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. द्वीप का एडीआईजेड प्रादेशिक हवाई क्षेत्र के समान नहीं है, बल्कि स्व-घोषित हवाई क्षेत्र है जिसकी निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए की जाती है. चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है और अगर जरूरी हो तो बलपूर्वक द्वीप को अपने क्षेत्र में एकीकृत करने का प्रण लिया है.

ताइवान ने क्या रिपोर्ट दी? ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि घुसपैठ में 34 लड़ाकू विमान और एक एच-6 बमवर्षक शामिल था. रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा फाइटर जेट्स के उड़ान पथ रिकॉर्ड पर पोस्ट किए गए एक ऑनलाइन बयान के अनुसार, चीनी लड़ाकू विमानों ने ताइवान-नियंत्रित द्वीप प्रतास के उत्तर-पूर्व में उड़ान भरी. रक्षा मंत्रालय ने एक ट्विटर पोस्ट में कहा कि जवाब में ताइवान ने भी उनका पीछा करने के लिए अपने लड़ाकू विमान भेजे और रेडियो चेतावनी प्रसारित करते समय उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए तुरंत अपनी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली सक्रिय कर दी. पिछले साल अक्टूबर में एडीआईजेड क्षेत्र में लगभग 56 लड़ाकू विमानों के प्रवेश करने के बाद से यह अपनी तरह की अब तक की सबसे बड़ी घटना है. ताइवान को चीनी वायु सेना से अपने क्षेत्र में घुसपैठ के बारे में शिकायतें मिल रही हैं, आमतौर पर देश के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में प्रतास द्वीप समूह के पास, जिसे वह नियंत्रित करता है.

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ताइवानी रक्षा अधिकारियों ने बीजिंग पर ताइवान की सेना पर दबाव बढ़ाने के लिए “ग्रे जोन” रणनीति का उपयोग करने का आरोप लगाया है. नवंबर में ताइवान ने 27 चीनी विमानों के एडीआईजेड में प्रवेश करने के बाद फिर से अपने लड़ाकू जेट विमानों को उड़ाया था. अमेरिका और चीन के बीच एक लंबे समय से चले आ रहे समझौते के तहत, वॉशिंगटन “एक-चीन” नीति का अनुसरण कर रहा है. इस राजनीतिक स्थिति के मुताबिक अमेरिका ताइवान की राजधानी ताइपे को आधिकारिक रूप से मान्यता देने के बजाय बीजिंग के साथ सभी मुद्दों को निपटाने के लिए बाध्य है. ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, लेकिन चीन इसे अपने देश का हिस्सा मानता है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हाल ही में ताइवान के साथ “पूर्ण एकीकरण” के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. इस बीच ताइवान के उपराष्ट्रपति लाइ चिंग ते उर्फ विलियम लाई इसी हफ्ते अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं. वह होंडूरास की अपनी यात्रा के दौरान अमेरिका जाकर वहां नेताओं से बातचीत करेंगे. ताइवान और चीन के बीच बढ़े तनाव के बीच विलियम लाई की यह यात्रा अहम मानी जा रही है.

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