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अभी तक किसी भी लैब टेक्नीशियन ने नहीं दिया स्पष्टीकरण

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नीरज शर्मा की खबर

आम लोगों की जांच को आई किट बाजार में बेचे जाने का मामला

कोरोना जांच करा चुके लोगों के नंबर पर कॉल कर जांच शुरू, जल्द खुलासे की संभावना

बुलंदशहर। आम लोगों की जांच को आई किट बाजार में बेचे जाने के मामले में अफसर जल्द बड़ा खुलासा होने की संभावना जता रहे है। लैब टेक्नीशियन द्वारा बनाए गए रजिस्टर में दर्ज जांच कराने वाले लोगों के मोबाइल नंबर पर फोन करने के दौरान अभी तक की जांच में किट में हुए घोटाले की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं। जिससे ये स्पष्ट हो गया है कि कोरोना जांच की किट में घोटाला हुआ है। घोटाला कितना हुआ है ये जांच पूरी होने के बाद पता चल सकेगा।

कोरोना संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए शासन के निर्देश पर जांच का दायरा बढ़ाया गया था। इसके लिए बड़े स्तर पर करोड़ों रुपये की कोरोना जांच किट स्वास्थ्य विभाग ने खरीदी थी। जो स्वास्थ्य विभाग के स्टोर से जांच किट टीम को देने का दावा किया गया। आरोप है कि एक मास्टरमाइंड फार्मासिस्ट समेत कई लोगों ने जांच किट को सही जगज प्रयोग न कर बाजार में बेचकर विभाग में फर्जीवाड़ा किया, क्योंकि बाजार में कोरोना जांच किट की कीमत 2500 रुपये से अधिक है। फर्जीवाड़े को छुपाने के लिए लैब टेक्नीशियन से जांच रजिस्टर में जांच करने वाले लोगों के फर्जी नाम और फर्जी मोबाइल नंबर दर्ज किए गए ओर मई से अक्तूबर माह तक जांच किट का गोलमाल होता रहा। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मी ने अफसरों को अवगत भी कराया लेकिन मामले को दबा दिया गया। इसके बाद विभाग के एक कर्मी ने गोपनीय पत्र प्रशासन और मीडिया को जारी करके स्वास्थ्य विभाग में खलबली मची दी। जिससे बाजार में कोरोना जांच किट की बिक्री रुकी और घपला करने वाले लोग चौकन्ने हो गए। वहीं, फर्जीवाड़े की जांच कर रहे एसीएमओ डॉ. नरेश गोयल ने जिम्मेदार लैब टेक्नीशियन से दस नवंबर को स्पष्टीकरण मांगा लेकिन अभी तक किसी भी लैब टेक्नीशियन द्वारा स्पष्टीकरण नहीं दिया तो जांच अधिकारी ने रजिस्टर में दर्ज जांच कराने वाले लोगों के मोबाइल नंबर पर फोन करने शुरू कर दिए।

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माइस्टरमाइड कर रहा विभाग को गुमराह
विभागीय अफसर इस घोटाले के पीछे एक मास्टरमाइड फार्मासिस्ट का हाथ होना बता रहे हैं। जो करीब बीस साल से विभाग में एक ही जगह तैनात है। कई बार स्थानांतरण होने के बाद भी सत्ता के रसूखदारों से मदद लेकर बचता रहा। वहीं, पूर्व में तत्कालीन डीएम अनुज कुमार झा ने भी इस फार्मासिस्ट से एक्सपायर शुगर जांच स्ट्रिप से जांच करवाने के मामले में वेतन से रिकवरी की थी। इस दौरान संबंधित फार्मासिस्ट ने दूसरे की लापरवाही बता अपनी नोकरी बचा ली थी।

अभी तक किसी भी लैब टेक्नीशियन ने द्वारा स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। जांच करा चुके लोगों के जांच रजिस्टर में दर्ज मोबाइल नंबरों पर फोन कर जानकारी ली जा रहीं हैं। कोरोना किट में घपलेबाजी हुई है। आम लोगों की जांच को आई किट कहां गई, बेची गई या नहीं, यह जांच पूरी होने पर ही पता चलेगा। अभी तक अधिकांश नम्बर बंद या गलत मिले है। – डॉ. नरेश गोयल, एसीएमओ एवं जांच अधिकारी

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