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आयात पर पड़ रहा असर भारत-चीन तनाव से, उद्योगों की बढ़ी मुसीबत

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मुंबई । भारत-चीन सीमा झड़पों और इसके बाद दोनों पक्षों में चल रही तनातनी के मद्देनजर भारतीय व्यापार और उद्योग की सबसे बुरी आशंकाएं सच होती दिख रही हैं। बाजार के सूत्रों ने शनिवार को यह आशंका व्यक्त की।

एक हफ्ते से चीन-हांगकांग से सभी प्रकार की आयात सामग्री लाने वाले सैकड़ों- हजारों कार्गो कंटेनर अब देश के विभिन्न समुद्री बंदरगाहों और वायु मार्ग पर खड़े हुए हैं।

इनमें लगभग 1000 कंटेनर ऐसे शामिल हैं, जिनमें महत्वपूर्ण स्पेयर पार्ट्स, कंपोनेंट्स और 300 करोड़ रुपये से अधिक के कृषि संबंधी उपकरण की तैयार इकाइयां और करीब सभी भारतीय उद्योगों के अन्य तैयार माल शामिल है। भारतीय उद्योगों के लिए यह अच्छी खबर नहीं है और यह निश्चित तौर पर एक सचेत करने वाला समय (अलार्म टाइमिंग) है।

चीन से आने वाले सभी कंटेनरों का पूर्ण रूप से परीक्षण किया जाना भी इसका एक अनाधिकारिक कारण है। प्रत्येक इकाई की अलग-अलग पैकिंग या बॉक्स खोलने से लेकर सामग्री की जांच और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर सभी दस्तावेजों की कड़ी जांच भी इसके कारक हैं।

कृषि क्षेत्र के आयातक तुषार सी. पदगिलवार ने आईएएनएस को बताया, “जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (मुंबई) में तत्काल-आवश्यक एग्रो-स्प्रेयर और पुर्जो के लगभग 200 कंटेनर फंस गए हैं। पूरे भारत में बुवाई का मौसम शुरू होने के साथ ही किसानों को इनकी काफी जरूरत पड़ती है। अगर उन्हें जुलाई की शुरुआत तक यह उपकरण नहीं मिले तो उनकी इस सीजन की फसल बर्बाद हो सकती है और हम अपना पूरा निवेश खो देंगे।”

एग्री स्प्रेयर टीआईएम एसोसिएशन (इंडिया) के अध्यक्ष पदगिलवार ने कहा कि जो कार्गो पहले ही आ चुके हैं, उनके अलावा भी चीन से आने वाली बड़ी खेप पर भी असर पड़ेगा।

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ठाणे के एक प्रमुख आयात-निर्यात सलाहकार ने कहा कि चीन-हांगकांग से आने वाले कंटेनर, जिनमें कई अरब डॉलर के सभी प्रकार के उत्पाद हैं, वो फिलहाल पूरे भारत की बंदरगाहों पर फंसे हुए हैं। उन्होंने बताया कि अधिकारियों की ओर से अभी इस संबंध में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है, कि सामान कब तक पहुंच पाएगा।

उन्होंने कहा, “कुछ प्रकार के कार्गो इंतजार कर सकते हैं, लेकिन अधिकांश अन्य प्रकार के सामान, विशेष रूप से खराब हो सकने वाले खाद्य और फार्मास्यूटिकल्स में देरी नहीं की जा सकती। इसके अलावा आयातकों ने खेपों के लिए पूरा भुगतान किया है, सीमा शुल्क की मंजूरी ली गई है और यहां तक कि अपने ग्राहकों से अग्रिम आदेश भी ले लिया है। किसी भी तरह की अनावश्यक देरी सभी हितधारकों के लिए भारी जटिलताएं पैदा कर देंगी।”

इस मुद्दे पर सीमा शुल्क विभाग और संबंधित अन्य अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच चीनी सामान के बहिष्कार करने की आवाज भी बुलंद है। ऐसे समय में अगर जल्द जरूरी सामान की पहुंच स्थापित नहीं हो पाती है तो भारतीय उद्योग व कृषि के साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है।

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