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उद्योग को वित्तीय मदद का सिलसिला जारी रहेगा, कई और सेक्टर को मिल सकता है इंसेंटिव

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नई दिल्ली। भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने के लिए उद्योग जगत को सरकार की तरफ से वित्तीय मदद का सिलसिला जारी रहेगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय कुछ और सेक्टर को इंसेंटिव व अन्य मदद देने पर विचार कर रहा है। मंत्रालय की तरफ से इन सेक्टर की पहचान का काम चल रहा है। सरकार इंसेंटिव के साथ इन सेक्टर में मैन्यूफैक्चरिंग को आसान बनाने के लिए कई नियामक नियमों में भी बदलाव कर सकती है। हाल ही में सरकार की तरफ से 10 औद्योगिक सेक्टर को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) देने की घोषणा की गई है।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के मुताबिक 2 लाख करोड़ के पीएलआइ से 20 लाख करोड़ का मैन्यूफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार होगा। इसके तहत प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 3 करोड़ लोगों को नौकरी मिलने का अनुमान है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्यूफैक्चरिंग के तहत 24 सेक्टर का चयन किया गया है जिन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। 10 सेक्टर के लिए पीएलआइ की घोषणा हो चुकी है, बाकी सेक्टर को इंसेंटिव देने के तरीके पर विचार किया जा रहा है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय औद्योगिक संगठनों के साथ मिलकर वैसे सेक्टर की भी पहचान कर रहा है जिनमें भारत दुनिया के बाजार में आसानी से मुकाबला कर सकता है और जिनकी उत्पादन लागत अन्य देशों के मुकाबले कम हो।

मंत्रालय के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग के प्रोत्साहन के लिए वस्तुओं की गुणवत्ता और उत्पादकता का भी ध्यान रखा जा रहा है। हर औद्योगिक सेक्टर को अपने उत्पाद की गुणवत्ता पर फोकस करने के लिए कहा जा रहा है। मंत्रालय के मुताबिक अगले महीने हर सेक्टर को किसी एक दिन अपने उत्पाद की गुणवत्ता के लिए प्रतिबद्धता दिवस के रूप में मनाना होगा। मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट शुरू करने की प्रक्रिया को बिल्कुल आसान बनाने के लिए मंत्रालय सिंगल विंडो सिस्टम भी तैयार कर रहा है जिसकी शुरुआत अगले वित्त वर्ष में हो सकती है।

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विकसित देशों से एफटीए

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय वैसे विकसित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने पर फोकस कर रहा है जिन्हें भारत जैसे बड़े बाजार की जरूरत है और जो देश बदले में भारत को उच्च तकनीक वाले उत्पाद मुहैया कराने के लिए तैयार हो। वे देश भारत के विशेष उत्पादों के लिए अपने बाजार के दरवाजे भी खोलने के लिए तत्पर हो।

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