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ऐसे करें देखभाल, पैरों की भी दुश्मन बन जाती है डायबिटीज़

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नई दिल्ली।  शरीर में ब्लड शुगर स्तर के संतुलन बिगड़ने से टाइप-2 डायबिटीज़ होती है। इस स्थिति में शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या इंसुलिन का प्रतिरोध नहीं करता। इस बीमारी के साथ अक्सर कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ परेशानियां भी शुरू हो जाती हैं।
डायबिटीज़ के सभी मरीज़ों के लिए अपने ब्लड शुगर स्तर को मैनेज करना सबसे बड़ा चुनौती होती है। अगर इसे नज़रअंदाज़ किया गया तो इसका असर शरीर के दूसरे अंगों पर भी साफ दिखने लगता है, जिसमें तंत्रिका क्षति भी शामिल है।
हाई ब्लड शुगर तंत्रिका तंत्र को कैसे प्रभावित करता है?
मधुमेह न्यूरोपैथी अक्सर आपके पैरों और वहां की नसों को नुकसान पहुंचाती है। इसके लक्षणों की स्थिति अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह की होती है, जो बीमारी की गंभीरता पर आधारित है। कुछ लोगों को हल्के लक्षणों का अनुभव होता है, तो वहीं कुछ गंभीर दर्द से गुज़रते हैं।
लोग पैरों और टांगों में सुन्नता का अनुभव कर सकते हैं, साथ ही पाचन समस्याओं, मूत्र पथ, रक्त मार्ग और हृदय में समस्याएं भी होती हैं। इस समस्या के लक्षण अक्सर धीरे-धीरे दिखना शुरू होते हैं, और ब्लड शुगर स्तर को मैनेज कर इस स्थिति को ख़राब होने से बचाया जा सकता है।
डायबीटिक न्यूरोपैथी के लक्षण
​न्यूरोपैथी के विभिन्न प्रकार हैं, लेकिन सभी में सबसे आम है, पेरिफेरल न्यूरोपैथी। यह स्थिति पहले पैरों और टांगों की तंत्रिकाओं को प्रभावित करती है, उसके बाद हाथों और हथेलियों को। इस दौरान व्यक्ति इस तरह के लक्षण महसूस करता है:
– तापमान परिवर्तन महसूस करने की क्षमता कम हो जाना या सुन महसूस होना।
– झुनझुनी या जलन
– तेज़ दर्द
– संवेदनशीलता में वृद्धि
– पैर की समस्याएं, जैसे कि अल्सर, संक्रमण और हड्डी और जोड़ों का दर्द
कैसे करें पैरों की उचित देखभाल?
डायबिटीज के रोगियों के लिए, उनके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखना आवश्यक है। यह पैरों की समस्याओं से बचने का पहला कदम है। किसी भी कट, दरार, घाव, सूजन, चकत्ते, आदि की पहचान करने के लिए रोज़ाना अपने पैरों की जांच करनी चाहिए। इसके अलावा, पैर की देखभाल इस तरह करें।
– गुनगुने पानी और मुलायम कपड़े का उपयोग कर अपने पैरों को साफ करें।
– अपने पैरों को नियमित रूप से मॉइस्चराइज़ करें।
– अपने पैरों के नाख़ून को नियमित रूप से काटें।
– नंगे पैर न चलें।
– सही फुटवियर पहनें।
– पैरों के व्यायाम करें।
– अपने पैरों को गर्मी और ठंड से बचाएं।
– पैर की चोट से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहें।
लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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