जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी रार के बीच एक बार फिर सचिन पायलट खेमे की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी की ओर से जारी नोटिस जारी कर अयोग्य ठहराया गया था। दूसरी तरफ जयपुर के फेयरमाउंट होटल में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक होने वाली है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन करने वाले कांग्रेस विधायक इसी होटल में ठहरे हुए हैं। पायलट खेमे की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी दलील दे रहे हैं।
सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को निकम्मा, नाकारा और धोखेबाज बताते हुए बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष ही पार्टी को डुबाने का काम कर रहा था। पायलट ने कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपा है। उन्हें कम उम्र में काफी कुछ मिल गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, सांसद, केंद्रीय मंत्री और उप मुख्यमंत्री जैसे पद मिले। गहलोत के हमले पर पायलट ने जवाब देते हुए कहा कि मैं इस बयान से दुखी हूं, लेकिन हैरान नहीं। यह मेरी विश्वसनीयता को संदिग्ध बनाने की साजिश है।
विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी की ओर से जारी नोटिस पर सोमवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इंद्रजीत महांती व जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में स्पीकर की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की जबकि मुख्य सचेतक महेश जोशी की तरफ से भी पक्ष रखा गया। वहीं पायलट की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने बहस की।
वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हम स्पीकर के नोटिस का जवाब नहीं देंगे, अब हाई कोर्ट ही इसमें फैसला दे। स्पीकर ने जानबूझकर गलत तरीके से नोटिस जारी किए हैं। कहा कि क्या नोटिस जारी करने से पहले सोचा गया कि जिस शिकायत पर नोटिस जारी किया गया है वो क्षेत्राधिकार में है ही नहीं। स्पीकर ने पहले ही अपना मन बना लिया था। क्या किसी सदस्य ने विधायी कार्य की खिलाफत की है। कहा कि पार्टी के आंतरिक मामलों में अयोग्यता नोटिस जारी करना मूल अधिकारों का उल्लंघन है। इससे पहले शुक्रवार को भी उन्होंने कहा था कि विधानसभा के बाहर की गतिविधि को दल-बदल विरोधी कानून का उल्लंघन नहीं माना जा सकता। विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा, ऐसे में व्हिप का कोई मतलब नहीं है।
स्पीकर की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पायलट गुट को स्पीकर ने अभी सिर्फ नोटिस जारी किए हैं, अयोग्य नहीं ठहराया है। कोर्ट का इस मामले में क्षेत्राधिकार नहीं बनता है। विधायकों की अयोग्यता को लेकर अभी कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता। यह अधिकार स्पीकर के पास है। विधानसभा की कार्रवाई में कोर्ट दखल नहीं दे सकता। उन्होंने कहा कि जब तक स्पीकर फैसला नहीं ले लेते, तब तक कोर्ट दखल नहीं दे सकता।