कानपुर। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द दिल्ली के सफदरगंज स्टेशन से दि रॉयल प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर के लिए रवाना हो चुके हैं। राष्ट्रपति तीन दिवसीय प्रवास के लिए कानपुर आ रहे हैं। कल शाम 07:45 पर उनकी ट्रेन कानपुर सेंट्रल के प्लेटफार्म नंबर एक पर पहुंची। इस यात्रा में राष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी सविता कोविन्द भी मौजूद हैं।
लंबे अंतराल के प्रेसिडेंशियल ट्रेन के चलने पर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने कहा कि ये हमारे लिए गौरव की बात है कि राष्ट्रपति 15 साल के अंतराल के बाद ट्रेन से सफर कर रहे हैं। उनकी ये यात्रा दिल्ली से कानपुर होते हुए लखनऊ की है। आज ये ट्रेन कानपुर जाएगी, उसके बाद दो दिन के कानपुर प्रवास के बाद ये ट्रेन लखनऊ जाएगी।
इस तरह कानपुर पहुंचे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द
- दोपहर 12 बजे दिल्ली के सफदरगंज रेलवे स्टेशन से दि रॉयल प्रेसिडेंशियल से रवाना हुए राष्ट्रपति
- दोपहर 1:55 बजे खुर्जा जंक्शन से गुजरी ट्रेन
- दोपहर 3:30 बजे टूंडला की सीमा में ट्रेन दाखिल हुई और लगभग तीस मिनट में आगरा की सीमा से बाहर निकल गई
- दोपहर 4:57 बजे ट्रेन इटावा जंक्शन से गुजरी। जहां एसएसपी डा. बृजेश कुमार सिंह सुरक्षा व्यवस्था की खुद निगरानी कर रहे थे
- शाम 05:32 बजे प्रेसिडेंशियल ट्रेन औरैया के अच्छल्दा स्टेशन से निकली
- शाम 05:32 बजे औरैया के ही कंचौसी रेलवे स्टेशन से गुजरी ट्रेन, जहां बैकअप ट्रेन कुछ देर के लिए रुकी
- शाम 06 बजे कानपुर देहात के झींझक स्टेशन पर उतरे राष्ट्रपति
- शाम 06:42 बजे झींझक से रूरा के लिए रवाना हुई प्रेसिडेंशियल ट्रेन
- शाम 06:55 बजे रूरा पहुंची महाराजा एक्सप्रेस
- शाम 07:27 बजे राष्ट्रपति रूरा से कानपुर सेंट्रल के लिए रवाना
- देर शाम 08:06 बजे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का कानपुर सेंट्रल पर हुआ आगमन।
आशीर्वाद देने नहीं, लेने आया: झींझक स्टेशन पर उतरने के बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द मंच पर पहुंचे। जहां उन्होंने कहा कि काफी समय से आने का प्रयास कर रहा था। परौंख से झींझक, कानपुर, पटना होते होकर राष्ट्रपति भवन पहुंच गया। वैसे डीएम साहब कह रहे थे कि आशीर्वाद देने आया हूं, लेकिन वास्तव में मैं तो आशीर्वाद लेने आया हूं।
राष्ट्रपति ने साझा कीं स्मृतियां: राष्ट्रपति ने कहा कि झींझक की गलियां, स्टेशन याद हैं। यहां घंटों ट्रेन का इंतजार करता था। जब मैं परौंख से खानपुर होकर जाता था तो झींझक में मिठाई की दुकान थी, वो मुझे आज भी याद है। अपने मित्रों को याद करते हुए वे बोले कि मेरे मित्र थे। एक बाबूराम वाजपेयी जी, जिनका मकान यहीं पीछे है। दूसरे रसूलाबाद के रामविलास त्रिपाठी जी। इन दोनों की तरह ऐसे अनेक हमारे अपने लोग हमसे बिछड़ गए। वहीं कुछ अपने इस अदृश्य बीमारी कोरोना के कारण हमें छोड़कर चले गए। ऐसे सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
रूरा में बोले राष्ट्रपति: महामारी में अपनों को खोया जिनको हम जानते नहीं, वह भी मेरे अपने ही है। आपसे सभी से अपील है कि कोरोना की तीसरी लहर आ रही है, बच्चों को मास्क जरूर लगाएं। सभी लोग वैक्सीन जरूर लगाएं। प्रधानमंत्री को धन्यवाद है कि देश के लिए फ्री वैक्सीन दी है।