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कालाबाजारी को लेकर सख्त योगी सरकार, रेमडेसिविर के तीन जमाखोरों के खिलाफ NSA के तहत करेगी कार्यवाही

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लखनऊ। कोरोना वायरस के भीषण संक्रमण के दौर में जीवनरक्षक के रूप में काम आने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी और जमाखोरी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद सख्त हो गए हैं। अपने सरकारी आवास से टीम-11 के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोरोना संक्रमण की समीक्षा कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ ने जीवनरक्षक इंजेक्शन रेमडेसिविर की जमाखोरी करने वालों के साथ ही इसकी कालाबाजारों करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके तहत कानपुर के तीन जमाखोरों के खिलाफ एनएसए के तहत शीघ्र कड़ी कार्रवाई होगी।

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद उत्तर प्रदेश एसटीएफ के साथ ही लोकल पुलिस की टीमें जमाखोरों तथा कालाबाजारी करने वालों की तलाश में लगी हैं। कानपुर में दो दिन पहले रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ पकड़े गए तीन आरोपियों के खिलाफ सरकार अब एनएसए के तहत कार्रवाई करेगी। कानपुर में 265 रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ पकड़े गए तीन व्यक्तियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के प्रावधानों के तहत सजा देने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो कोविड-19 के संक्रमण के दौर मे जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी करते हैं।कानपुर की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गुरुवार को 265 रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जो इसकी कालाबाजारी करने में शामिल थे। सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार लोगों को रेमडेसिविर दवाएं और अन्य कोविड से संबंधित दवाओं की उपलब्धता की सुविधा को आसान बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। अधिकारी फार्मा डिस्ट्रीब्यूटर्स पर निगरानी रख रहे हैं।

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जीवन रक्षक औषधि की कमी न हो: योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी जीवन रक्षक औषधि तथा होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों के मेडिकल किट की दवाओं में कोई कमी न होने पाए। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग का कंट्रोल रूम निरन्तर कार्यशील रहते हुए रेमडेसिविर सहित विभिन्न औषधियों की उपलब्धता पर लगातार नजर रखे। प्रदेश में रेमिडीसीवीर की अनुमानित आवश्यकता अनुरूप उत्पादनकर्ता कम्पनियों से संवाद स्थापित करते हुए मांग भेजी जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में यह सप्लाई चेन बाधित न होने पाए। स्वास्थ्य मंत्री औषधियों की उपलब्धता और आपूर्ति की पूरी चेन पर नजर रखें। इसकी लगातार समीक्षा की जाए।

ऑक्सीजन का कम से कम 36 घंटे का बैकअप रखें: सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूॢत को बेहतर करने के लिए अलग-अलग स्थानों पर 10 नए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित होने हैं। इसमें डीआरडीओ का सहयोग मिल रहा है। भारत सरकार के स्तर से भी ऑक्सीजन आपूॢत की मॉनिटरिंग की जा रही है। सभी जिले समन्वय बनाते हुए डिमांड भेजें। अब सभी जगह पर ऑक्सीजन के संबंध में अगले 15 दिनों की अनुमानित मांग के अनुरूप उपलब्धता बनाई रखी जाए। इसके साथ-साथ प्रदेश में ऑक्सीजन वितरण की प्रक्रिया में भी संतुलन बनाए रखा जाए। अब प्रत्येक अस्पताल में न्यूनतम 36 घंटे का ऑक्सीजन बैकअप होना चाहिए।

ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी बर्दाश्त नहीं: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कुछ स्थानों पर ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी की सूचना प्राप्त हुई है। इस संबंध में तत्काल कार्यवाही की जाए। सिलेंडर क्रय करने की प्रक्रिया में कतई देरी न हो। भारत सरकार से भी इस संबंध में सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ऑक्सीजन की आपूर्ति और वितरण के कार्यों की सतत मॉनिटरिंग करेंगे।

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आग से बचाव का भी करें इंतजाम: मुख्यमंत्री ने कहा कि रायपुर (छत्तीसगढ़) में अस्पताल में आग लगने की हृदयविदारक घटना घटित हुई है। इस घटना में कोविड मरीजों की दु:खद मृत्यु हुई है। हमें इस घटना से सीख लेना चाहिए। प्रदेश के सभी जिलों के सभी सरकारी व निजी चिकित्सा संस्थानों में फायर सेफ्टी के उपकरणों का परीक्षण कर लिया जाए। यह कार्य आज ही सम्पन्न करा लिया जाए। इसमें किसी प्रकार की शिथिलता स्वीकार नहीं है।

क्या है रेमडेसिविर इंजेक्शन: एक एंटीवायरल दवा है, जिसे अमेरिका की दवा कंपनी गिलियड साइंसेज ने बनाया है। इसे करीब एक दशक पहले हेपेटाइटिस सी और सांस संबंधी वायरस का इलाज करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे कभी बाजार में उतारने की मंजूरी नहीं मिली। अब कोरोना संक्रमण के इस दौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन को जीवन रक्षक दवा के रूप में देखा जा रहा है। यही कारण है कि रेमडीसिविर इंजेक्शन को लोग महंगी कीमत पर भी खरीदने को तैयार हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किया जाता है। हालांकि कोरोना के इलाज में इसके प्रभावी ढ़ंग से काम करने को किसी ने मान्यता नहीं दी है। नवंबर में डब्ल्यूएचओ ने भी कह दिया था कि रेमडेसिविर कोरोना का सटीक इलाज नहीं है। इसके बाद भी कोरोना संकट के बाद इसकी बिक्री में काफी उछाल आया है। भारत में इस दवा का प्रोडक्शन सिप्ला, जाइडस कैडिला, हेटेरो, माइलैन, जुबिलैंट लाइफ साइंसेज, डॉ रेड्डीज, सन फार्मा जैसी कई कंपनियां करती रही हैं। गिलियड साइंसेज कंपनी ने रेमडेसिविर को इबोला के ड्रग के रूप में विकसित किया था, लेकिन अब माना जाता है कि इससे और भी तरह के वायरस मर सकते हैं। इसी कारण इसमें नया नाम कोरोना वायरस का जुड़ गया है।

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केंद्र सरकार ने कम की कीमत: कोरोना वायरस के बढ़ेते नए मामलों के बीच केंद्र सरकार ने महामारी के इलाज में प्रयोग होने वाली प्रमुख दवा रेमडेसिविर के दाम में बड़ी छूट दी है। केंद्र सरकार ने रेमडेसिविर की कीमतों में लगभग पचास फीसद दामों की कटौती की है। इसकी कीमत दो हजार रपए तक कम कर दी गई है। इस इंजेक्शन की कीमत 2,450 रपये है। कटौती के बाद रेमडिसिविर का इजेंक्शन 1225 रपए में उपलब्ध होने की उम्मीद है। इसके उलट देश में कालाबाजारी इसका एक इंजेक्शन 15 से 23 हजार तक में बेच रहे हैं।

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