नीरज शर्मा की रिपोर्ट
बुलंदशहर मे मंगलवार को केंद्र व राज्य इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सुबह 12 बजे से 2 बजे तक नॉन कोऑपरेटिव मूवमेंट के तहत एक धरना दिया गया जिसका आयोजन मलका पार्क काला आम पर किया गया जिले के सभी चिकित्सक एकत्रित हुए और मिक्सोपैथी के प्रस्ताव का विरोध किया डॉ संजीव अग्रवाल सचिव इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि हमारे लाखों चिकित्सक देश विदेश में सेवा कर हमारे देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं।
वही हजारों चिकित्सक सेना में अपनी भूमिका निभा रहे हैं और कोरोना की महामारी में भी हमारे एलोपैथी के चिकित्सकों ने अपना जीवन तक आहूत किया है और आगे भी जनता व सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इसको कोरोना से विजय प्राप्ति में लगे हुए हैं एलोपैथी किसी भी पद्धति का विरोध नहीं करती है ना ही सरकार का विरोध करती है लेकिन जो मिक्सोपैथी के माध्यम से आयुर्वेद में चिकित्सा सर्जरी को परमिट किया गया है वह सरासर गलत है अगर हम विरोध नही करेंगे तो इससे जनता को बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा इसी क्रम में डॉ वीरेंद्र कुमार अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सरकार के अधिकारियों पर जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ करने का भी पक्ष रखा है कि इतनी जटिल सर्जरी को अभी तक मेडिकल कॉलेज के माध्यम से 3 से 5 वर्ष सीखने में लग जाते हैं लेकिन आयुर्वेद के तहत यह कुछ ही महीनों में विशेषज्ञ बनाने की परमिशन दे रहे हैं।
डॉक्टर अरुण गर्ग फिजिशियन ने बताया कि सरकार एमबीबीएस की सीटों को ना बढ़ाकर आयुर्वेद डॉक्टरों को परमिट कर सर्जरी कराने जा रही है जिससे जनता के लिए घातक सिद्ध होगा बल्कि सरकार को एमबीबीएस की सीटें बढ़ाने पर जोर देना चाहिए और आयुर्वेद पर ज्यादा से ज्यादा शोध कर उसे हमारी भारतीय संस्कृति को मजबूत करने में योगदान देना चाहिए और विदेशों से मेडिकल टूरिज्म के नाम पर आने वाले मरीजों को भी एलोपैथी का फायदा वह आर्थिक लाभ देश को जो मिल रहा है उसमें भी कोई समस्या नहीं होगी वह आयुर्वेद के इलाज से भी हम देश विदेश तक इसको पहुंचाने में अपनी भूमिका निभा पाएंगे जिससे हमारे देश पर हमारे आयुर्वेद के डॉक्टरों को भी फायदा होगा। डॉ रिंकी शर्मा नेत्र रोग विशेषज्ञ ने कहा कि इतनी जटिल सर्जरी की परमिशन देना सरकार और समाज के हित में नहीं होगा दिन प्रतिदिन इक्विपमेंट वह टेक्निक की जरूरत बढ़ चल रही है जिससे कभी-कभी हम भी नहीं समझ पाते हैं हमें भी कई बार ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है ऐसे में आयुर्वेद चिकित्सकों को को आंखों की सर्जरी करना बहुत ही नुकसानदायक साबित होगा। 11 दिसंबर को 24 घंटे की नॉन कोऑपरेटिव मूवमेंट के तहत धरने को रखा गया है जिसमें आगे की रणनीति केंद्र व राज्य की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन तय करेगी