शहरों की तर्ज़ पर देश के गांवो की सूरत बदलने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ की शुरुआत की थी। केन्द्र सरकार के चार साल पूरे हो गए है। इन चार सालों में सांसद आदर्श ग्राम योजना से गावों मे कैसा हुआ विकास …देखते आइये देखते है |
ग्रेटर नोएडा के .. गाँव जिसे स्थानीय सांसद डॉ महेश शर्मा ने 20.. में सासंद आदर्श ग्राम योजना के तहत चुना था । गोद लेने से पहले इस गाँव ……के हालात कुछ और थे लेकिन आज 3 साल बाद इस गाँव में बिजली,पानी,सड़क और सरकारी अस्पताल के अलावा हर वो सुविधा मौजूद है जो शहर में होती है।
प्रधानंत्री सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गाँवों का कायाकल्प हो रहा है लेकिन गोद लिए गए गांव के अग़ल बग़ल के गाँवों के लोग इस योजना को लेकर स्थानीय सांसद से भेदभाव का आरोप लगाकर नाराज़गी जता रहे है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना पीएम मोदी का महत्वाकांक्षी विजन है
लेकिन बावजूद इसके ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के लिए अलग से धन का कोई प्रावधान नहीं किया गया है , बल्कि सांसदों से अपेक्षा की गई है कि वे अपनी ‘संसदीय क्षेत्र विकास निधि’ (एमपीलैड) से चयनित गांव का विकास करें। बजट की समस्या से सासंद भी परेशान है।
सांसद आदर्श ग्राम योजना में धन की कमी को लेकर कई सांसद प्रधानमंत्री तक अपनी पीड़ा जाहिर कर चुके है। लेकिन सांसदों को सीएसआर और अन्य माध्यमों से वित्तीय व्यवस्था करने के अलावा कोई आश्वासन नहीं मिला, जिससे हर साल योजना के तहत एक नए गाँव गोद लेकर उसका विकास करने का सपना आर्थिक तंगी के चलते पूरा होता नहीं दिख रहा।
पीटासी…आदर्श सांसद ग्राम योजना के तहत विकास कार्यों को पूरा करने के लिए कई तरह से फंड मिलते हैं. इनमें इंदिरा आवास, PMGSY और मनरेगा के अलावा सांसदों को मिलने वाला विकास फंड भी शामिल है , बावजूद इनके योजना के लिए अलग से बजट नहीं होने से सांसद भी असमंजस में है। सबका साथ और सबका विकास का वादा करने वाली केन्द्र सरकार को चाहिये कि समय रहते इन योजनाओं की समीक्षा कर इनकी ख़ामियो को दूर करे ताकि शहरों की तर्ज़ पर गाँवों का भी समानन्तर विकास हो और सरकार की नीति और नीयति पर आमजन का वादों के अनुरूप विश्वास हो।