नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने बुधवार को कहा कि कोरोना महामारी के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग को हतोत्साहित किया गया था। परंतु, चुनाव आयोग का मानना था कि महामारी के दौरान चुनाव कराना ‘विश्वास की छलांग है, न कि अंधेर में छलांग।’पहले से जारी रिवाज को तोड़ते हुए सीईसी अरोड़ा बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान के बारे में जानकारी देने के लिए खुद आए थे। आमतौर पर मतदान के बाद उप चुनाव आयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करते हैं।
प्रेस कांफ्रेंस की शुरुआत में ही अरोड़ा ने कहा, ‘हमें (चुनाव आयोग) हतोत्साहित करते हुए कहा गया था कि कोरोना महामारी के दौरान चुनाव क्यों कराने जा रहे हैं। आपको याद होगा हमने 25 सितंबर (जब बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम घोषित किए गए थे) को कहा था कि आयोग के लिए चुनाव कराना भरोसे की छलांग है, अंधेरे में छलांग नहीं।’ हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि किसने हतोत्साहित किया था। बता दें कि कुछ विपक्षी दलों ने चुनाव टालने के लिए आयोग से अनुरोध किया था।
पहले चरण में 54 फीसद पड़े वोट
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 71 सीटों पर बुधवार को मतदाताओं ने उत्साह का प्रदर्शन किया। लगभग 54.01 फीसद मतदान हुआ, जो 2015 के विधानसभा चुनाव के लगभग बराबर और 2010 के चुनाव की तुलना में करीब चार फीसद ज्यादा है। लोगों ने कोरोना से बचाव के पूरे इंतजाम किए, लेकिन उसका खौफ हावी नहीं होने दिए।
नक्सल प्रभावित इलाकों में भी वोटिंग
नक्सल प्रभावित बांका, गया, जमुई, कैमूर, लखीसराय और शेखपुरा में 55 फीसद से भी ज्यादा मतदान बता रहा है कि अपने सपनों की सरकार चुनने की सबमें बेताबी है। गांवों में सुबह से ही उत्साह दिख रहा था। कोरोना का खौफ कहीं नहीं दिखा। मतदान केंद्रों पर तैनात सुरक्षा बलों ने कोरोना नियमों का पालन कराने की पूरी कोशिश की। हर बूथ पर थर्मल स्कैनिंग का पूरा इंतजाम था।