Home अध्यात्म कोरोना महामारी में भी युवा लेखक अंशुमन भगत की किताब, बच्चों एवं बड़े हर वर्ग के लोगों के लिए सकारात्मक रूप से मनोबल बढ़ा रहा।
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कोरोना महामारी में भी युवा लेखक अंशुमन भगत की किताब, बच्चों एवं बड़े हर वर्ग के लोगों के लिए सकारात्मक रूप से मनोबल बढ़ा रहा।

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इस कोरोना काल ने देश के बहुत से छुपे प्रतिभाशाली चेहरों को सामने लाया, जो समाज के लिए कुछ बेहतर प्रयास करने में जुटे हुए है। कोरोना कहर के डर से आज लोग अपने अपने घरों में रहने पर मजबूर हो गए हैं ऐसे में तमाम लोग अपने अपने तरीके से घर पर जीने की कला सीख रहे हैं। बंद कमरे में भी रहकर लोग अपने अंदर की कला को फूट-फूट कर बाहर निकाल रहे हैं कोई कहानी लिख रहा है तो कोई कविताएं। बदलते इस दौर में युवा अपने क्षेत्र में चल रहे प्रवृत्तियों के अनुसार काम कर रहे हैं। आज देश में युवा अपने प्रतिभा से खुद का एक अनोखा मंच बना रहे है ताकि वे इसमें कैरियर बना सके। आज लगभग पूरी दुनिया भर में लोग अपने अपने क्षेत्र में डिजीटल फार्म में काम करते दिख रहे है। जिससे वह डिजिटली रूप से अन्य लोगों तक अपनी कला का प्रदर्शन कर पा रहे हैं।

उनमें से युवा लेखक अंशुमन भगत है। जो अपने लेखन के माध्यम से लोगो में अच्छे सुविचार तथा सकारात्मकता जैसी भावनाओं का गान करवाते हैं। जिससे सभी क्षेत्र के लोगों के लिए और खास तौर पर आज की युवा पीढ़ी के लिए काफी मददगार होता है। अपने सरल शब्दों से कुछ ऐसा विचार लिखते हैं जो सीधा लोगों को आत्मनिर्भर होने के लिए, सोचने पर मजबूर कर देता। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कुछ बातें ऐसी होती है जिन्हें हम बोल नहीं सकते लेकिन जब हम उन्हें लिखकर किसी को बयां करते हैं तो वह काफी कुछ बता जाता है और काफी कारगर साबित भी होता है। अंशुमन भगत एक प्रेरणादायक लेखक है जिन्होंने ऐसी कई विचारों को लिखा है जो लोगों का मनोबाल तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहायक है, अंशुमन खुद युवा होने के साथ-साथ अपनी उम्र के युवाओं को कई ऐसी पहल का सुझाव देते हैं जिससे कि उनको इससे सहायता मिलती है। अंशुमन भगत ने इस कोरोना काल के दौरान घर में रहकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था, जिसमें प्रधानमंत्री को कोरोना काल में सही प्रबंधन तथा लोगो में सकारात्मक मनोबल समेत कई बिंदुओं पर अपना सुझाव दिया। ताकि लोगो में फैल रहे हताश को कम किया जा सके।

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आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया का इस्तेमाल काफी ज्यादा कर रहे है जिसके कारण वह किसी अन्य दिशा की ओर बढ़ते जा रहे हैं ऐसे समय में अगर कोई लेखक अपने लेखन के माध्यम से लोगों को प्रेरित करता है ताकि उनका जीवन सही मार्ग पर चल सके और आने वाले दिनों में उनका जीवन बेहतर और सफलता के साथ हो तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है अंशुमन अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि लोगों के उनके लेखन से काफी मदद मिले ताकि युवा हमेशा सही मार्ग की ओर बढ़े। उनकी यह सोच उन्हे लोगों के बीच और ज्यादा लोकप्रिय बनाती है। यह जरूरी है कि आज के युवाओं को खुद से अपने विचारों को समझ कर सही दिशा कि और बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए, ताकि उनके माता-पिता और सगे संबंधी को उन पर गर्व हो। युवाओं को मोबाइल और वीडियो गेम के अलावा किताबों का भी पढ़ने का शौक होना चाहिए, जिससे उन्हें सही ज्ञान की प्राप्ति हो। ताकि इसके माध्यम से वे आत्मनिर्भर बन सकें।

 

उनकी किताब “योर ओन थॉट” को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री माननीय रघुवर दास जी से भी सराहना मिल चुकी है। उनका कहना है कि अंशुमन द्वारा लिखी गई किताब से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक भाव के साथ अपने जीवन को एक नया रूप दे सकता है यह एक सार्थक प्रयास है की इस किताब के माध्यम से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी। इसके अलावा अंशुमन की किताब और उनके लिखने के अंदाज को विदेश के लोग भी पसंद कर रहे है। हाल ही में अंशुमन भगत को लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का खिताब मिला है यह गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की तरह भारत में प्रसिद्ध भारत की चौथी बड़ी कंपनी है अंशुमन भगत को उनके इस छोटे से उम्र में साहित्य पर योगदान और दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणा बनने के लिए ओएमजी बुक्स ऑफ रिकॉर्ड ने उन्हें उनकी किताब (योर ओन थॉट) तथा (बेस्ट इंस्पिरेशनल कोट्स) के लिए “इंडियाज मोस्ट पॉपुलर यंग फेस इन द राइटिंग वर्ल्ड इन 2021” पुरस्कृत किया है। ओएमजी बुक्स ऑफ रिकॉर्ड उन्हीं लोगों को रिकॉर्ड से पुरस्कृत करती है जिन्होंने कुछ नया और भारत तथा भारत के जनता के लिए कोई मिसाल कायम करने वाली चीजें की हो। अंशुमन भगत ने इतनी कम उम्र में ही ऐसे विषयों पर पुस्तक लिखे हैं जो कि हर युवा वर्ग को प्रोत्साहित करता है और कुछ नया करने पर विवश करता है उनकी पुस्तक भारत के हर प्लेटफार्म पर अवेलेबल है। आज लोग इस कोरोन नामक वैश्विक महामारी से जूझ रहे हैं लेकिन इस महामारी से लड़ते हुए कैसे हमें आगे बढ़ना है और भारत को आगे ले जाना है यह हर युवा वर्ग को अंशुमन भगत से सीखना चाहिए। अंशुमन आत्मनिर्भर हो कर खुद तो आगे बढ़ते ही है साथ ही अन्य युवाओं को भी अपने लेखन के माध्यम से आगे बढ़ने में उनकी मदद करते है।

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