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कौन हैं अखिलेश-डिंपल की करीबी पंखुड़ी पाठक, जिन्हें कांग्रेस ने नोएडा से दिया टिकट

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नोएडा। ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ स्लोगन के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट दे रही है। इसी कड़ी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने  नोएडा विधानसभा सीट से पंखुड़ी पाठक को टिकट दिया है। आइये जानते हैं कि कौन हैं कांग्रेस की नेता पंखुड़ी पाठक, जो समाजवादी पार्टी से होती हुई उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के टिकट पर नोएडा सीट से चुनाव लड़ रही हैं।

समाजवादी पार्टी की छात्र ईकाई से जुड़ीं पंखुड़ी पाठक ने लंबे समय समाजवादी पार्टी के साथ भी जुड़ी रहीं। उन्होंने कई बार यह जाहिर किया कि अखि‍लेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से काफी प्रभावि‍त थीं। इसके चलते वह 2010 में पार्टी से जुड़ीं। बावजूद इसके समाजवादी पार्टी में विवादों के चलते पंखुड़ी पाठक से पार्टी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। इसके बाद पिछले साल उनके पति अनिल यादव भी कांग्रेस में शामिल हो गए। गौरतलब है कि अप्रैल, 2017 में पंखुड़ी पाठक ने यह कहते हैं कि समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी कि कुछ लोगों को मेरी जाति को लेकर परेशानी थी। पंखुड़ी समाजवादी पार्टी छोड़ते समय लिखा था कि पार्टी को उन लोगों के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए जो जातिगत राजनीति करते हैं। उन्होंने लिखा था कि जो जातिवादी है वो समाजवादी नहीं हो सकते। समाजवादी पार्टी छोड़ने के कुछ महीनों के बाद पंखुड़ी ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और अब वह नोएडा विधानसभा सीट से पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ेगीं।

भारतीय राजनीति में चुनिंदा खूबसूरत नेत्रियों में शामिल पंखुड़ी पाठक का करियर बहुत लंबा नहीं है, लेकिन  यूपी विधानसभा चुनाव में टिकट हासिल कर उन्होंने दिखा दिया है कि वह कुछ कर गुजरने का माद्दा रखती हैं। बेखौफ, बेधड़क और बिंदास बयानबाजी के लिए मशहूर पंखुड़ी पाठक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कालेज से हुई है। समाजवादी पार्टी की छात्र इकाई से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ का चुनाव लड़ने के दौरान उन्होंने राजनीतिक का ककहरा सीखा, जो आज उनके काम आया।  पंखुड़ी पाठ ने हंसराज कालेज से ग्रेजुएशन के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई भी की और इसी दौरान चुनाव लड़कर वह चर्चा में आईं। वर्ष 2010 में हुए हंसराज कालेज के छात्र संघ चुनाव में पंखुड़ी ने ज्वाइंट सेक्रेटरी पद पर चुनाव जीता था। फिर वह लंबे समय तक समाजवादी पार्टी की छात्र सभा से जुड़ी रहीं। पंखुड़ी ने अगले कुछ सालों तक समाजवादी पार्टी की तरफ से प्रत्याशियों को छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ाया।

पंखुड़ी की बड़ी खूबी यही है कि वह बड़े तेज तर्रार अंदाज में टेलीविजन चैनलों पर अपनी बात रखती हैं। इसको लेकर वह कई बार दूसरे राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं से भिड़ भी चुकी हैं। यहां तक कई बार मामला एफआइआर तक पहुंच चुका है।

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अनिल यादव और कांग्रेस की मीडिया पैनलिस्ट पंखुड़ी पाठक कुछ सालों पहले ही दिल्ली में शादी के बंधन में बंधे, लेकिन यह शादी विवादों में रही।  दरअसल, अनिल-पंखुड़ी की शादी की बात सामने आने पर विवाद भी हुआ। अनिल की पूर्व पत्नी ज्योति यादव मीडिया के सामने आई और अनिल व उनके भाई पर कई तरह के आरोप लगाए था। इसके बाद ज्योति ने गाजियाबाद व नोएडा के एसएसपी से मिलकर मामले की शिकायत भी की। इस मामले में अनिल यादव ने भी अपना पक्ष रखा और खुद को सही ठहराया।

राजनीति की दुनिया में सिर्फ जीत आखिरकार सभी के लिए मायने रखती है, लेकिन पंखुड़ी पाठक ने अपनी कोशिशों के चलते समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पत्नी के दिल में जगह बनाई। डिंपल यादव के साथ अखिलेश भी पंखुड़ी पर मेहरबान हुए और समाजवादी पार्टी ने पंखुड़ी की मेहनत से खुश होकर उन्हें 2013 में लोहिया वाहिनी का नेशनल सेक्रेटरी बना दिया।

अखिलेश यादव और डिंपल यादव से करीबी के चलते पंखुड़ी पाठक महज 24 साल की उम्र में ही उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का चेहरा बन गई थीं। इसके बाद सपा ने उन्हें पार्टी प्रवक्ता का पद दिया, वह टेलीविजन न्यूज चैनलों पर लगातार समाजवादी पार्टी का पक्ष धारदार अंदाज में रखती थीं।

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