दरअसल ब्लैडर की संरचना फैलने-सिकुड़ने वाली होती है और उसमें यूरिन जमा होता रहता है। इसके फैलने-सिकुड़ने के कारण ही यूरिन बाहर निकलता है। कई बार ब्लैडर के फैलने- सिकुड़ने की प्रक्रिया पर नर्वस सिस्टम का नियंत्रण नहीं रह जाता और अचानक यूरिन डिस्चार्ज हो जाता है, यूरिन के प्रेशर को कुछ मिनट तक भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है। ऐसी शारीरिक दशा को यूरिनरी इन्कॉटिनेंस कहा जाता है।
प्रमुख कारण
– डिलीवरी के बाद पेल्विक एरिया की मांसपेशियों में ढीलापन
– ब्लैडर का नीचे की ओर झुकाव
– ओबेसिटी या प्रेग्नेंसी में ब्लैडर पर दबाव बढ़ने के कारण ऐसा होता है, लेकिन डिलीवरी के बाद यह समस्या अपने आप दूर हो जाती है।
– उम्र बढ़ने के साथ ब्लैडर और किडनी की कार्य क्षमता का घटना
– मेनोपॉज के बाद हॉर्मोन संबंधी असंतुलन।
– यूट्रस रिमूवल सर्जरी के बाद पेल्विक एरिया कमजोर पड़ जाता है, जिससे स्त्रियां यूरिन का दबाव नहीं झेल पातीं।
– गंभीर ऑर्थराइटिस की प्रॉब्लम में अगर किसी को टॉयलेट तक जाने में परेशानी होती है तब भी उसे रास्ते में यूरिन डिस्चार्ज हो सकता है।
– डायबिटीज़ की समस्या में नर्व्स कमज़ोर होने लगती हैं, जिससे व्यक्ति की संवेदन क्षमता प्रभावित होती है और उसे सही समय यूरिन का प्रेशर फील नहीं होता।
– अल्ज़ाइमर्स के मरीज़ों के साथ भी ऐसी समस्या हो सकती है क्योंकि ब्रेन और यूरिनरी सिस्टम के बीच संपर्क नहीं होने के कारण मरीज़ को कभी भी यूरिन डिस्चार्ज हो जाता है।
– यह समस्या महिला या पुरुष किसी के भी साथ हो सकती है। कई बार यूरिन में इन्फेक्शन होने पर भी स्त्रियों में ऐसे लक्षण नज़र आते हैं।
बचाव एवं उपचार
– संतुलित खानपान और एक्सरसाइज के जरिए बढ़ते वजन को नियंत्रित करें।
– प्रशिक्षिक से सीख कर पेल्विक एरिया को मजबूत बनाने के लिए कीगल एक्सरसाइज करें।
– अगर समस्या का कोई भी लक्षण नजर आए तो निःसंकोच डॉक्टर से सलाह लें।