मुंबई। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अभिनेता मिलिंद सोमन लगातार अपने किरदारों के साथ प्रयोग कर रहे हैं। हालिया रिलीज वेब सीरीज पौरुषपुर में ट्रांसजेंडर का किरदार निभाने के बाद वह मेट्रो पार्क 2 में डॉक्टर अर्पित के किरदार में हल्की-फुल्की कॉमेडी करते नजर आए। इरोस नाउ पर उपलब्ध यह शो साल 2019 की वेब सीरीज मेट्रो पार्क का दूसरा सीजन है। मिलिंद का कहना है कि वह पैसों के लिए कभी ऐसा काम नहीं करेंगे जो उनकी नैतिकता के खिलाफ हो:
अपनी छवि से अलग कॉमेडी करने का अनुभव कैसा रहा?
इससे पहले मैं फिल्म ‘भेजा फ्राई’ में भी कॉमेडी कर चुका हूं। बतौर कलाकार मैं अलग-अलग तरह की कहानियों के अलग-अलग किरदारों का हिस्सा बनना चाहता हूं। उसमें कॉमेडी, ड्रामा, एक्शन, इमोशन सभी चीजें आती हैं। मेरी अपनी कोई छवि नहीं है। कलाकार कभी-कभी अपने दर्शकों या कुछ सफल प्रोजेक्ट के कारण एक खास छवि में बंध जाते हैं, लेकिन मेरे साथ वह नहीं है। मुझे किरदारों के साथ प्रयोग करना पसंद है।
आपको मिलने वाले प्रस्तावों में किस तरह के किरदारों की संख्या ज्यादा होती है?
बहुत से लोग आज भी मुझे अच्छे दिखने वाले, हैंडसम, और हस्ट-पुष्ट अभिनेता वाली छवि में देखते हैं। मुझे ज्यादातर प्रस्ताव ऐसे मिलते हैं जिसमें मेरा किरदार पति और पत्नी के बीच कोई तीसरा शख्स होता है, जिसका संबंध या आकर्षण पत्नी या गर्लफ्रेंड से होता है। मैं अक्सर इस तरह प्रस्तावों को अस्वीकार कर देता हूं। ‘मेट्रो पार्क 2’ में भी मेरा किरदार कुछ इसी तरह का है, लेकिन कॉमेडी और बेहतरीन लेखन की वजह से मैंने इसके लिए हामी भरी। आमतौर पर एक्शन, थ्रिलर, और ड्रामा हर तरह के प्रोजेक्ट्स में मैं इस तरह के किरदारों को नकार देता हूं।
शो में आपका किरदार पेशे और घूमने के शौक को छह-छह महीने देता है, व्यक्तिगत जीवन में पेशे और शौक के बीच कैसे संतुलन बनाते हैं?
व्यक्तिगत जीवन में भी मैं ऐसा ही हूं। मैंने अपने पेशे और शौक के बीच छह-छह महीने बांटा तो नहीं है, लेकिन मेरे साल का ज्यादातर हिस्सा घूमने-फिरने में निकलता है, सिर्फ 40 प्रतिशत हिस्सा ही काम करता हूं। मुझे बार-बार एक ही जगह जाने की अपेक्षा हर बार अलग जगहों पर जाना पसंद है। मुझे पहाड़ों के बीच घूमना और ट्रैकिंग करना बहुत पसंद है।
इस शो में आपका किरदार का स्क्रीनटाइम भी काफी कम है, वह आपके लिए कितना मायने रखता है?
मेरे लिए किरदार की लंबाई या स्क्रीनटाइम ज्यादा मायने नहीं रखते। कहानी में मेरा किरदार महत्वपूर्ण होना चाहिए। फिर चाहे मेरा किरदार सिर्फ एक ही सीन में हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर किरदार कहानी में कुछ न कुछ बदलाव लेकर या कहानी को किसी निष्कर्ष पर लेकर जा रहा है तो वह महत्वपूर्ण किरदार होता है।
पौरुषपुर में आपके ट्रांसजेंडर किरदार बोरिस की काफी तारीफ हुई, आगे भी ऐसे प्रयोगों की तरफ देख रहे हैं?
लोगों ने मुझसे कभी इस तरह के काम की उम्मीद ही नहीं की थी। स्क्रीन पर मैंने जब अपने आप को इस किरदार में देखा तो मुझे भी काफी अच्छा लगा। मैंने जो काम किया शायद वो अच्छी तरह से उतरकर सामने आया, तभी लोगों की सराहना मिल रही है।
लगातार स्क्रीन पर बने रहने और वित्तीय आकांक्षाओं के बीच किसी बड़े बजट के प्रोजेक्ट नकारना कितना मुश्किल होता है?
यह अपनी व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है। मैं बहुत से प्रोजेक्ट्स के अस्वीकार करता हूं, क्योंकि मुझे वो दिलचस्प नहीं लगते। इंडस्ट्री में ऐसे भी कई कलाकार हैं जिनके पास करोड़ों रुपये हैं, फिर भी वह पान पराग जैसे विज्ञापन करते हैं। इतने पैसे होने के बावजूद उनके लिए ऐसे विज्ञापनों से मिलने वाला पैसा भी छोड़ना मुश्किल होता है। कई ऐसे भी कलाकार हैं जिनके पास जमापूंजी के नाम पर कुछ भी नहीं हैं, फिर भी वह पसंद न आने पर कई प्रोजेक्ट अस्वीकार कर देते हैं। ऐसे में किसी प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार करना पैसों पर नहीं बल्कि मानसिकता और सोच पर निर्भर करता है।
क्या आपने कभी पैसों और पसंद दोनों के बीच संतुलन बनाने के बारे में सोचा?
(सोचकर) मैंने कभी जान-बूझकर तो ऐसा नहीं किया है, क्योंकि मेरे पास हमेशा कुछ न कुछ काम रहा है। तो मुझे अपनी नापसंद वाले प्रोजेक्ट्स को नकारने की स्वतंत्रता हमेशा से रही है। अगर मुझे कोई चीज गलत लगती है या मेरी नैतिकता के खिलाफ हो तो सिर्फ पैसों के लिए मैं वह कभी नहीं करूंगा। जैसे कि शराब का विज्ञापन.. जब मैं मॉडल था न तब कभी शराब का विज्ञापन किया था और न आगे कभी ऐसी चीजों का विज्ञापन करूंगा। यह भी नहीं कि ऐसा करने से मुझे कभी वित्तीय समस्याओं से जूझना पड़ा। क्योंकि नियमित काम करने वाले हर कलाकार के पास ढ़ेर सारा पैसा और शोहरत होता है। फिर भी कुछ लोग ऐसे काम करते हैं जिन्हें देखकर मुझे आश्चर्य होता है।