नीरज शर्मा की रिपोर्ट
यूपी के बुलंदशहर में जाति वाला जूता बेचने वाले मामले में नया मोड़। मीडिया में पुलिस की फजीहत होने के बाद ग़ुलावठी पुलिस ने जूता विक्रेता को छोड़ सुपुर्दगी में दे दिया है। पुलिस ने एफआईआर में भी धार्मिक भावनाओं को भड़काने की धारा को हटा दिया है।
पुलिस की कस्टडी से रिहा होने के बाद जाति वाला जूता बेचने वाला युवक नासिर मीडिया के सामने आया। जूता विक्रेता नासिर का आरोप है कि ग़ुलावठी पुलिस ने कोतवाली में उसे दो दिन अवैध हिरासत में रखा और बाद में छोड़ दिया। इतना ही नहीं जब पुलिस उसको जूतों के होल सेल डॉलर के पास ग़ाज़ियाबाद ले जा रही थी तब पुलिस ने उसके साथ मारपीट भी की। नासिर का यह भी आरोप है कि कुछ युवक सोमवार को मेरे ठिये पर आए और सफेद सोल वाले जूते मांगे। जब युवक़ों को ठाकुर लिखा सफेद सोल वाला जूता नहीं मिला तो उन्होंने मोबाइल पर जूते का फोटो दिखाकर जाति वाला जूता निकलवाया। और युवक हंगामा करने लगे। कुछ देर बाद पुलिस ठिये पर आई और नासिर को उठा ले गए। नासिर के घर पहुंचने के बाद उसका परिवार बेहद खुश है और पुलिस अफसरों से पूरी एफआईआर रद्द करने की गुहार लगा रही है।
वहीं, इस घटना के बाद एसपी सिटी अतुल श्रीवास्तव का बयान भी सामने आया है। एसपी का कहना है अब तक कि जांच में धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है, इसलिए धार्मिक भावनाओं को भड़काने की धारा को हटा दिया गया है। आरोपी नासिर को भी सुपुर्दगी में दे दिया गया है। आपको बता दें कि नासिर ग़ुलावठी में बदायूं स्टेट हाईवे के किनारे जूतों का ठिया लगाता है और उसके पिता शादियों में घोड़ा बग्गी चलाने का करते हैं। पूरा परिवाद बेहद गरीब और कच्चे मकान में गुज़र बसर करता है। बड़ा सवाल यह है कि पुलिस जाति वाले जूते के होल सेल डीलर तक पहुंच तो चुकी है लेकिन अभी गिरफ्तारी नहीं हुई है।