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जानिए क्या है गोरखपुर का ऑपरेशन तमंचा, जिसके बावजूद भी चल रहीं गोलिया

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गोरखपुर। करीब ढाई महीने तक अपनी मौजूदगी का एहसास कराने के बाद पुलिस द्वारा चलाया जा रहा ‘आपरेशन तमंचा’ दम तोड़ता नजर आ रहा है। ढाई महीने तक जिले में बदमाशों के तमंचे से जहां एक भी गोली नहीं चली थी वहीं अब एक सप्ताह में मनबढ़ों ने दो लोगों को गोलियां मार दीं। 16 साल की एक बेटी की जान ले ली तो वहीं इसी उम्र की एक बेटी को घायल कर दिया। हालांकि अब तक बेटियों की गोली मारने की घटनाएं कई सालों पर इक्का-दुक्का ही सुनने को मिलती थी लेकिन एक सप्ताह में बदमाशों इस तरह का घिनौना चेहरा दो बार सामने आ चुका है।

एडीजी जोन अखिल कुमार ने छह जून 2021 से जोन के सभी जिलों में ‘ऑपरेशन तमंचा’ नामक अभियान लांच किया था। इसमें उन मनबढ़ों को पकड़ना है जो अवैध तमंचा रखकर अपने गांव मोहल्ले या फिर इलाके में भौकाल कायम करते हैं, साथ ही जरूरत पड़ने पर वह किसी वारदात को भी अंजाम देते हैं। अभियान की शुरुआत का नतीजा काफी अच्छा रहा। कई मनबढ़ और बदमाश पकड़े गए। पुलिस ने गोरखपुर में 100 से ज्यादा तमंचा बदमाशों के पास से पकड़ लिया। ढाई महीने तक इस अभियान में काफी सख्ती दिखी थी लेकिन जैसे ही इसमें ढिलाई बरती गई 22 अगस्त को 16 साल की एक बच्ची काजल को उसी के गांव के मनबढ़ ने गोली मार दी। बच्ची की बस यही गलती थी कि वह पिता की पिटाई का वीडियो बना रही थी। इससे नाराज होकर मनबढ़ ने बच्ची की जान ले ली और उसका मोबाइल छीन लिया। इस घटना के एक सप्ताह के अंदर ही गोला में 16 साल की एक बच्ची रिंकू को उसके पट्टीदारी के युवक ने गोली मार दी। यह बच्ची अपनी मां की पिटाई का विरोध कर रही थी।

सामने आ रही है पुलिस की चूक

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इन दोनों ही घटनाओं ने दक्षिणांचल में ‘ऑपरेशन तमंचा’ पर सवाल उठा दिए हैं। ऐसा नहीं है कि दोनों आरोपित एकदम शरीफ थे और उनकी शोहरत के बारे में गांव और इलाके के लोगों को जानकारी नहीं थी। गगहा हत्याकांड में शामिल आरोपित तो जेल भी जा चुका था और उसकी मनबढ़ई से इलाका डरता था। लेकिन हल्का दरोगा और बीट सिपाही उसके पास तमंचा होने की जानकारी नहीं जुटा पाए। वहीं दूसरी तरफ गोला की घटना में सामने आए आरोपित को भी मनबढ़ बताया जा रहा है और पहले से रंजिश चली आ रही थी। अब दोनों घटनाओं में कहीं न कहीं पुलिस की चूक का ही नतीजा सामने आ रहा है।

पुलिस की भूमिका की हो रही जांच

माना जा रहा है कि अगर पुलिसवालों ने ठीक से काम किया होता और मुखबिर तंत्र सक्रिया किया होता तो यह असलहे पकड़े जाते और न तो एक बेटी की जान जाती और न ही दूसरी बेटी घायल होती। फिलहाल एडीजी अखिल कुमार दोनों घटनाओं में पुलिस की भूमिका की जांच करा रहे हैं। यह जानने की कोशिश हो रही है कि उन्हें इन मनबढ़ों के पास तमंचा होने की जानकारी क्यों नहीं हो पाई थी?

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