नई दिल्ली। दिल्ली में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में मास्क नाक से नीचे होने पर पर एक युवक को थप्पड़ मारने के मामले में दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अनु मल्होत्र की पीठ ने दिल्ली पुलिस उपायुक्त एसएन श्रीवास्तव (delhi police commissioner sn srivastava) को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि ड्यूटी के दौरान पुलिस का ड्रेस कोर्ड क्या है? वहीं, बुधवार को सुनवाई के दौरान पुलिस ने पीठ को सूचित किया कि रात्रि ड्यूटी के दौरान थाने में पुलिस अधिकारियों को वर्दी पहनने की जरूरत नहीं है। पुलिस की दलील का याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सौरभ शर्मा ने खंडन करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस का स्टैंडिंग आर्डर और सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के अनुसार ड्यूटी के दौरान पुलिस को वर्दी पहनना अनिवार्य है। इस पर पीठ ने कहा कि पहली नजर में पुलिस उपायुक्त द्वारा पेश रिपोर्ट में विरोधाभास है।
पुलिस उपायुक्त ने दिल्ली सरकार के स्टैंडिंग काउंसल के माध्यम से रिपोर्ट दायर कर कहा कि घटना रात के 12 बजकर 30 मिनट से दो बजे सुबह के बीच की है। उस वक्त लाजपत नगर थाने की अतिरिक्त थाना प्रभारी कामिनी गुप्ता नाइट ड्यूटी पर थीं। उन्होंने कहा है कि वह रूटीन राउंड पर थाने परिसर में निकली थी और उन्होंने देखा कि शिकायतकर्ता व उनके मित्र ड्यूटी आफिसर रूम में बात कर रहे थे। पुलिस उपायुक्त ने कोर्ट को बताया कि यदि इंस्पेक्टर कामिनी गुप्ता की ओर से किसी तरह की लापरवाही बरती गई है तो मामले में समुचित कार्रवाई की जाएगी।
याचिकाकर्ता अमन कालरा व मंजीत चुग समेत अन्य ने अधिवक्ता सौरभ शर्मा के माध्यम से याचिका दायर कर कहा था कि मास्क लगाए हुए युवक को पुलिस कर्मी ने थप्पड़ मार दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि कि महिला अधिकारी न सिर्फ सादे वर्दी में थी, बल्कि उन्होंने मास्क भी नहीं लगाया था।