नई दिल्ली । एम्स रायबरेली में विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए निकाले गए विज्ञापन में आरक्षण नियमों की अनदेखी करने का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्र सरकार, शिक्षा मंत्रालय व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी। संविधान बचाओ ट्रस्ट ने याचिका दायर कर एम्स रायबरेली के विभिन्न पदों पर जारी भर्ती विज्ञापन में आरक्षण संबंधी केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के पालन नहीं करने का आरोप लगाया है। याचिका के अनुसार एम्स रायबरेली ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के 158 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला है, लेकिन इसमें आरक्षण नियमों की अनदेखी की गई है।
याचिका के अनुसार 31 जनवरी, 2019 को केंद्र के कार्मिक, जन समस्या व पेंशन विभाग ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर स्पष्ट किया था केंद्र की सिविल पोस्ट की सीधी भर्ती में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 फीसद आरक्षण दिया जाएगा।
वहीं, शिक्षा मंत्रालय ने 12 जुलाई, 2019 को जारी अधिसूचना में केंद्रीय शिक्षा संस्थानों की सीधी भर्ती के लिए आरक्षण संबंधी नियमों को स्पष्ट करते हुए कहा था कि एससी को 15 फीसद, एसटी को 7.5 फीसद तथा ओबीसी के लिए 27 फीसद और 10 फीसद पद ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित रखा जाना अनिवार्य है। याचिकाकर्ता ने भर्ती संबंधी विज्ञापन में संशोधन का निर्देश देने की मांग की है। वहीं, एम्स रायबरेली ने दावा किया है कि केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत ही विज्ञापन दिया गया है।