हार्ट अटैक यानि दिल का दौरा, एक ऐसी बीमारी है, जो बहुत ही तेजी से बढ़ रही है। दिल की बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पूरी दुनिया में हृदय रोग से होने वाली मृत्यु की दर सबसे ज्यादा है। हार्ट अटैक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ज्यादातर लोग इसके लक्षणों को नहीं पहचान पाते और इसका शिकार हो जाते हैं। आंकड़ों की मानें तो पूरी दुनिया में हर साल दिल के दौरे से एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों की मृत्यु हो जाती है। इनमें से 50 प्रतिशत लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। अगर समय रहते हृदय से जुड़ी समस्याओं पर काबू नहीं पाया गया, तो 2020 के अंत तक हर तीसरे इंसान के मौत की वजह हृदय रोग ही होगा।
कैसे हुई शुरुआत
इस आयोजन की पहल विश्व हृदय संघ के निदेशक आंटोनी बेस दे लुना ने 1999 में डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर की थी।उद्देश्य
इसका उद्देश्य जनसाधारण में हृदय से संबंधित रोगों, उनके परिणाम व उनके रोकथाम के लिए उन्हें जागरूक बनाना है।
हृदय संबंधी समस्याओं की प्रमुख वजहें
वर्तमान में अव्यवस्थित दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण एवं अन्य कारणों के चलते लोग तेजी से हृदय रोग की चपेट में आ रहे हैं। पहले बुजुर्गों में होने वाली हृदय से जुड़ी समस्याएं अब छोटी उम्र के लोगों को भी अपना शिकार बना रही है। चिकित्सक बताते हैं कि हृदय का सबसे बड़ा दुश्मन तनाव व बिगड़ी हुई जीवनशैली इस समस्या में आग में घी का काम करती है।
क्या है बचाव
कैलोरी, वसा, कोलेस्ट्रॉल, सोडियम आदि की मात्रा को निर्धारित करके दिल की बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। घी, मक्खन इत्यादि का सेवन कम से कम करना चाहिए और हल्के-फुल्के व्यायाम एवं सुबह की सैर को अपनी दिनचर्या में अपनाकर इसके खतरे को टाला जा सकता है।