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दून में वाहनों की फिटनेस होती ‘जादुई छड़ी’ से, दुर्घटनाओं की तकनीकी जांच में वाहन पाए जाते अनफिट

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देहरादून। जिले में दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा, लेकिन वाहनों की फिटनेस जांच की ‘जादुई छड़ी’ छोड़ने को परिवहन विभाग तैयार नहीं। अक्सर दुर्घटनाओं की तकनीकी जांच में वाहन अनफिट पाए जाते हैं, लेकिन हैरत देखिए कि परिवहन विभाग से उन्हें ‘फिट’ का प्रमाण पत्र मिला होता है। शायद यही है सांठगांठ का ‘खेल’। इसे रोकने के लिए 2009 में तत्कालीन सरकार ने ऋषिकेश में एक ऑटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया, लेकिन गुजरे 11 साल में भी इसका निर्माण पूरा नहीं हो सका। इस अंतराल में इसका बजट भी तीन करोड़ रुपये से बढ़कर दोगुना हो गया।

हालत ये है कि एक वाहन की फिटनेस जांच को जहां आधा घंटा लगता है, उससे कम समय में परिवहन विभाग लगभग 25 वाहनों को ‘जादुई छड़ी’ से जांच कर हरी झंडी दे देता है। आरटीओ और एआरटीओ कार्यालयों में ये ‘खेल’ वर्षों से चल रहा है, लेकिन सरकार इसे लेकर संजीदा नहीं। हद तो यह है कि परिवहन कार्यालयों में जितनी तेजी से नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन चल रहा है, उतनी ही तेजी से पुराने वाहनों की फिटनेस जांच भी निबटाई जा रही। हालात ये हैं कि परिवहन कर्मियों को फिटनेस मानकों तक की भी जानकारी नहीं है। सिर्फ भौतिक जांच कर वाहन को फिट या अनफिट का प्रमाण पत्र थमाया जा रहा है।

पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में इस साल एक जनवरी से 31 अक्टूबर तक कुल 191 हादसों में 87 व्यक्तियों की जान गई, जबकि 156 व्यक्ति घायल हुए। हादसों की जांच में कारण ओवरलोडिंग या ओवरस्पीड ही रहे, मगर इस दौरान वाहन खराबी के चलते हादसे के भी मामले सामने आए। हालांकि, वाहन खराबी से हादसों की संख्या बेहद चिंताजनक नहीं है, लेकिन ऐसे वाहनों से जो भी हादसे हुए उनमें प्रति वाहन छह से दस लोगों ने जान गवाईं। इनमें यूटिलिटी, मैक्स व निजी बसें शामिल हैं।

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ऋषिकेश टेस्टिंग लेन कब होगी पूरी

चारधाम यात्रा में दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने और व्यवस्था चाक-चौबंद करने के मकसद से ऋषिकेश में आटोमेटेड टेस्टिंग लेन बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया गया था। इसके लिए श्यामपुर बाईपास पर बीबीवाला में वन विभाग की भूमि भी परिवहन विभाग को ट्रांसफर कर दी गई। टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन इसके बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। न विभाग ने रूचि ली, न ही सरकार ने। चारधाम यात्रा के दौरान रोजाना हजारों वाहन ऋषिकेश पहुंचते हैं, पर फिटनेस के नाम पर इनकी भौतिक जांच कर फिटनेस सर्टिफिकेट थमा दिया जाता है। आटोमेटेड टेस्टिंग लेन में यह काम कंप्यूटराइज्ड होना है।

सुबह अनफिट, शाम को फिट

फिटनेस जांच में आरटीओ में दलालों का भी बड़ा नेटवर्क काम करता है। जो वाहन सुबह अनफिट करार दिए जाते हैं, दलालों का नेटवर्क शाम तक इन्हें ‘परफेक्ट’ का सर्टिफिकेट दिला देता है।

फिटनेस के मानक

  • वाहन के इंजन व एक्सीलेटर की जांच
  • स्टेयरिंग लॉक की जांच
  • इंडीकेटर, वाइपर, रिफ्लेक्टर, ब्रेक और टॉयर की जांच
  • ड्राइवर केबिन का पार्टिशन, हेड लाइट आदि की जांच वाहन के अनुरूप
  • निजी वाहनों को 15 साल में फिटनेस जांच करानी होती है
  • व्यावसायिक वाहनों को हर साल जांच के लिए वाहन आरटीओ लाना अनिवार्य
  • पर्वतीय क्षेत्र के व्यावसायिक वाहनों की हर छह माह में फिटनेस जांच अनिवार्य

दिनेश चंद्र पठोई (आरटीओ देहरादून) ने कहा कि अभी वाहनों को भौतिक तौर पर जांचा जा रहा है। वाहनों की जांच कर फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है। ऋषिकेश में टेस्टिंग लेन का काम जल्द पूरा होगा।

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