वाशिंगटन। नासा के मार्स पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल पर खुदाई की है। रोवर ने मंगल ग्रह की चट्टान की सतह के ऊपर छेद किया है। इस खुदाई की तस्वीर नासा ने साझा किया है। इस तस्वीर में चट्टान के भीतर पहली बार रहस्यमय धब्बा दिखा है। इन तस्वीरों को रोवर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर कीं। इसके कैप्शन में लिखा है कि मैंने सतह की परत को हटाने और नीचे देखने के लिए इस चट्टान के एक छोटे से हिस्से को काट दिया। इस पर काफी लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
इन तस्वीरों में रोवर को अपने भारी-भरकम उपकरणों के साथ मंगल ग्रह की एक चट्टान की सतह को काटते हुए दिखाया गया है। दूसरी फोटो में चट्टान की सतह में बना हुआ एक गोलाकार निशान दिखाई देता है। उसके चारों और सफेद धूल कण बिखरी हुई है। इसके बाद रोवर निशान को करीब से देखता है जिसमें धूल रेत की तरह दिखाई देती है। चौथी फोटो में चट्टान के नीचे की सतह दिखाई देती है जिसकी बनावट चट्टान की बाहरी सतह से अलग दिखती है। इस फोटो पर कई यूजर्स की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई यूजर्स ने बताया कि चौथी तस्वीर, जिसमें चट्टान की आंतरिक संरचना नजर आ रही है, के ऊपरी हिस्से में एक अजीब सफेद त्रिकोणीय धब्बा है। सफेद धब्बा त्रिभुज के आकार है और बाकी सतह से बिल्कुल अलग दिखाई दे रहा है।
पर्सिवियरेंस रोवर चट्टानों के नीचे की सतह से सैंपल्स एकत्र करेगा। इसका मिशन साइंटिस्ट विश्लेषण करेंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि कभी यह गड्ढा पानी से भरा हुआ था। रोवर की ओर से इकट्ठा किए जाने वाले नमूनों को 2030 की शुरुआत में एक अन्य मिशन से पृथ्वी पर वापस लाया जाएगा। यह तस्वीर रोवर के वाइड एंगल टोपोग्राफिक सेंसर फार आपरेशन एंड एनजीनियरिंग कैमरे से ली गई है, जो रोवर के साइंस कैमरों में से एक है। वर्तमान में रोवर मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर में है।
बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर चलना शुरू कर दिया है। एक टन वजन वाले रोवर को मंगल ग्रह पर एक लंबा सफर तय करना है। एजेंसी की ओर से बताया गया है कि पर्सिवियरेंस करीब दो वर्ष के कालखंड में मंगल सतह पर करीब 15 किलोमीटर तक का सफर तय करेगा। गौरतलब है कि 19 फरवरी को नासा का पर्सिवियरेंस रोवर ने मंगल ग्रह की सतह पर लैंडिंग की थी। मंगल ग्रह तक पहुंचने के लिए रोवर ने आधा अरब किलोमीटर की दूरी तय की थी। रोवर मंगल पर मानव जीवन के निशानों की खोज करेगा। इसके साथ यह एक लाख पुरानी सूख चुकी झील की जमीन की जांच करने के साथ अरबों साल पहले मंगल ग्रह पर माइक्रो आर्गानिज्म की किसी भी गतिविधि यानी जीवन के हाने के चिन्हों की जांच करेगा।
रोवर का एक मकसद मंगल ग्रह पर कम वजन वाले एक हेलिकाप्टर को भी उड़ाना है। यही वजह है पर्सिवियरेंस अपने साथ एक छोटा सा हेलिकाप्टर लेकर गया है। यह किसी अन्य ग्रह पर इस तरह की पहली उड़ान होगी। बता दें कि 1970 के बाद अमेरिकी नासा का यह पहला मिशन है, जो मंगल ग्रह पर जीवन के निशान तलाशने के लक्ष्य से भेजा गया है। पर्सिवियरेंस रोवर नासा द्वारा मंगल ग्रह की सतह पर उतारा गया अब तक का सबसे तेज रोवर है।
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