Home Breaking News निजीकरण का विरोध करे देश को बचाएं, नहीं तो नौजवानों का भविष्य अंधकारमय में:- सैय्यद मुनीर अकबर
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निजीकरण का विरोध करे देश को बचाएं, नहीं तो नौजवानों का भविष्य अंधकारमय में:- सैय्यद मुनीर अकबर

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बुलंदशहर : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग प्रदेश महासचिव सैय्यद मुनीर अकबर ने कहा जब सरकार ने तेल का निजीकरण कर दिया तो कह रहे है कि कीमतें हमारे हाथ में नहीं. सोचो जब निजी क्षेत्र में देने के बाद सरकार कुछ नहीं कर पा रही तो किसी समस्या के आने पर आम आदमी क्या कर लेगा ? ऐसी कमाई का क्या फायदा कि स्वामित्व ही हमारे/सरकार के हाथ से चला जाये.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी यहां के राजाओं को ऐसे ही पैसे देकर स्वामित्व और फैसले के अधिकार ले लिए थे. उसके बाद क्या हुआ सब जानते है इसलिए इस मुगालते में मत रहना कि सरकार बेच रही है, पैसा जुटा रही है इत्यादि से आपका भला होगा.

सोचो कांग्रेस सरकारें 60 सालों में बिना कुछ बेचे देश को चलाकर इस उन्नति तक ले आईं और इतना कुछ बना दिया, उनके आगे आप कहो कि देश चलाने के लिए उधार लेना पड़े या अपनी संपत्तियों बेचना पड़ेंगीं तो यह आपका निकम्मापन नहीं तो और क्या आपकी विकास की सोच कहेंगे ?

जिन लोगों को पता नहीं कि इसी तरह के लालच द्वारा पहले भी ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना राज स्थापित किया था और हिन्दुस्तान के राजा महाराजा सब लाचार रह गए थे, वह लोग पुनः इतिहास पढ़ लें या अपने आने वाली पीढ़ी के गुलाम होने का समर्थन कर इंतज़ार करेंगे.

देश में नौजवानों का भविष्य अन्धकारमय नहीं तो कैसा है! जब रोजगार मांगा तो हवालात भेजा
आगे उ.प्र. कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग प्रदेश महासचिव सैय्यद मुनीर अकबर ने कहा कि निजीकरण के बाद,जब आप सरकार से रोजगार मांगेंगे,तो सरकार का जवाब आएगा,
बैंक हमारे हाथ मे नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
LIC हमारे हाथ में नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
रेलवे हमारे हाथ में नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
बीमा कम्पनी हमारे हाथ में नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
एयर इंडिया हमारे हाथ में नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
BSNL हमारे हाथ में नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
एयरपोर्ट हमारे हाथ में नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
बंदरगाह हमारे हाथ में नहीं है तो रोजगार कैसे दे ?
ठीक उसी तरह..
जैसे अभी पेट्रोल की बढ़ी कीमतों पे, वित्त मंत्री बोल रही है – पेट्रोल , डीजल का दाम हमारे हाथ में नहीं है ,कंपनियां तय करती है दाम।
अगर किसान आन्दोलन असफल हो गया और गेहूं 100रु किलो बिका तो भी यही कहेंगें इसलिए हम सब को मिलकर तीनों कृषि बिल का विरोध करना चाहिए और सरकार वापस ले

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