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निवेशकों के हितों की करनी होगी रक्षा, बॉन्ड बाजार को खुदरा निवेशकों के लिए आसान बनाना होगा

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नई दिल्ली। 25 वर्षो के मंथन के बाद अंतत: सरकारी प्रतिभूतियों में आम छोटे निवेशको को सीधे निवेश करने की छूट दे दी गई है। लेकिन सवाल यह है कि मौजूदा नियमन व्यवस्था के तहत निवेशकों के हितों की रक्षा हो सकेगी या नहीं। यह भी कि एक आम निवेशक जिस आसानी से शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकता है, क्या वह उतनी ही आसानी से सरकारी बांड्स खरीद सकेगा या नहीं।

सवाल यह भी है कि क्या देश की नियामक एजेंसियों के बीच सरकारी प्रतिभूतियों में आम निवेशकों की सीधी पहुंच से उपजी स्थिति की निगरानी के लिए सामंजस्य बन चुका है? वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इन सारी समस्याओं का समाधान अगले कुछ महीनों के भीतर सामने आ जाएगा।

आरबीआइ ने इसी सप्ताह एक बड़ा एलान यह किया है कि छोटे व खुदरा निवेशकों को सरकारी बांड्स सीधे खरीदने की इजाजत दी जाएगी। आरबीआइ गवर्नर ने अभी सिर्फ यह कहा है कि खुदरा निवेशक आरबीआइ के साथ गिल्ट एकाउंट (सरकारी प्रतिभूतियों अथवा बांड्स में निवेश करने वाले खाते) खोल सकेंगे। इस खाते का इस्तेमाल सीधे बांड्स जारी करने वालों से या सेकेंडरी बाजार से भी बांड्स की खरीद-बिक्री में किया जा सकेगा। इसे वित्तीय सेक्टर का एक बड़ा सुधार माना जा रहा है क्योंकि अभी तक गिने-चुने देशों में ही यह सुविधा है।

एशिया में आम निवेशकों को यह सुविधा देने वाला भारत पहला देश है। वर्ष 1991 में ही आर्थिक सुधार जारी होने के बाद वर्ष 1996 में पहली बार सरकारी प्रतिभूतियों में आम निवेशकों के लिए सीधे तौर पर खोलने पर विचार किया गया था। उसके बाद आरबीआइ की कई समितियों व आर्थिक सर्वेक्षणों में इसकी सिफारिश किये जाने के बाद अब जा कर अंतिम फैसले के करीब पहुंचा गया है। अंतिम बार वर्ष 2011 में वित्त मंत्रालय की तरफ से गठित एक उच्चस्तरीय विमर्श समूह ने देश में कारपोरेट बांड्स के विस्तार व इसमें छोटे निवेशकों की बड़ी भागीदारी सुनिश्चित करने का रोडमैप जारी किया था।

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वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार पिछले दो-तीन वर्षों से इस बारे में धीरे धीरे कदम उठा रही है। नियमन को लेकर भी फैसला उचित समय पर किया जाएगा। अभी यह आरबीआइ की तरफ से इसका नियमन होगा। अगर खुदरा निवेशकों की भागीदारी इसमें तेजी से बढ़ती है तो फिर वित्तीय बाजार की नियामक एजेंसी सेबी को पूरी तरह से नियमन की जिम्मेदारी देने का रास्ता भी साफ हो सकता है।

वैसे भी आम बजट 2021-22 में वित्त मंत्री ने सभी तरह के वित्तीय निवेशकों के लिए एक ही सिक्युरिटीज मार्केट कोड बनाने का घोषणा की है। इसके लिए उन्होंने सेबी कानून, डिपोजिटरीज कानून, प्रतिभूति साझेदारी (नियमन) कानून और सरकारी प्रतिभूति कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। स्पष्ट है कि सरकार की मंशा बांड बाजार के खुदरा निवेशकों को भी सेबी के तहत ही लाने की है।

यह पूछे जाने पर कि आम निवेशक जिस तरह से मोबाइल एप वगैरह से आसानी से शेयर खरीद सकता है क्या उतनी ही आसानी से वह बांड्स में निवेश कर सकेगा। इस पर उक्त अधिकारियों का कहना है कि यह निश्चित तौर पर सेबी की तरफ से किया जाएगा।

 

 

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