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नीतीश सरकार के चार मंत्रियों का भाग्य मतदाताओं ने लिख डाला, बड़ी मुश्किल से मिली थी 2015 के चुनाव में दो को जीत

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पटना। बिहार विधानस चुनाव 2020 के दूसरे चरण के मतदान में नीतीश कैबिनेट के चार मंत्रियों का चुनावी भविष्य इवीएम में बंद हो गया है। ये हैं-पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, सहकारिता मंत्री राणा रणधीर और समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह। श्रवण और रामसेवक जदयू के है। अगर 2015 के चुनाव की बात करें तो इनमें से दो मंत्रियों की जीत बड़ी मुश्किल से हो पाई थी। वजह: भाजपा और जदयू एक दूसरे के विरोधी गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे। इन मंत्रियों को एनडीए से जदयू के जुड़ जाने के चलते राहत मिल सकती है।

छठी बार जीतने के लिए लड़ रहे नंद किशोर

पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव भाजपा उम्मीदवार की हैसियत से पटना साहिब से छठी बार जीतने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा का पिछला चुनाव उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। वोटों का फासला तीन हजार के आसपास था। उन्हें जदयू के समर्थन से मदद की उम्मीद है। पिछली बार जदयू महागठबंधन में शामिल था। इसके चलते भारी परेशानी हुई थी।

श्रवण कुमार का कांग्रेस से मुकाबला

नालंदा से जदयू टिकट पर चुनाव लड़ रहे ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार लगातार पांच बार जीते हैं। 2015 के चुनाव में एनडीए के घटक भाजपा उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार से उन्हें तगड़ी चुनौती मिली थी।  उन्हें 72, 596 और भाजपा उम्मीदवार को 69600 वोट मिला था। जाहिर है, भाजपा के सहयोग के चलते वे इस चुनाव में राहत महसूस कर सकते हैं। महागठबंधन में नालंदा की सीट कांग्रेस के खाते में है।

सहकारिता मंत्री राणा रणधीर को मधुबन की सीट विरासत में मिली है। उनके पिता स्व. सीताराम सिंह चार बार विधायक रहे। फरवरी 2005 के चुनाव में रणधीर राजद के टिकट पर जीते। लेकिन, अक्टूबर के चुनाव में उनकी हार हो गई। दूसरी जीत भाजपा उम्मीदवार की हैसियत से 2015 में करीब 30 हजार वोटों के अंतर से हुई। उस समय जदयू के उम्मीदवार दूसरे नम्बर पर थे। इस चुनाव में जदयू का साथ भाजपा को मिला हुआ है।

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हथुआ के पहले विधायक हैं

समाज कल्याण मंत्री रामसेवक सिंह हथुआ से चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र का सृजन 2010 में किया गया। वे इसके पहले विधायक चुने गए। पहले चुनाव में उनका मुकाबला राजद के राजेश कुमार से हुआ था। वोटों का अंतर 23 हजार से अधिक था। 2015 के चुनाव में उन्होंने भाजपा समर्थित हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा के डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह को पराजित किया था। संयोग से उस समय भी जीत हार का अंतर 23 हजार के करीब था। इस चुनाव में भाजपा जदयू के साथ है।

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