नोएडा के सेक्टर 58 पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय कॉल को लोकल कॉल में कन्वर्ट करके इलीगल एक्सचेंज चलाकर भारत सरकार के रेवेन्यू में चूना लगाने वाले एक ज्ञान का खुलासा किया है, पुलिस को इनके पास पास भारी मात्रा में सर्वर, सीपीयू, डेक्सटॉप और कागजात बरामद हुआ है।
तस्वीरों पुलिस की गिरफ्त में खड़े हैं अभियुक्त बड़े ही शातिर किस्म के फ्रॉड है, जो इलीगल एक्सचेंज के माध्यम से लगातार भारत सरकार को रेवेन्यू में चूना लगा रहे थे, जिन्हें आज सेक्टर 58 पुलिस ने रेड मारने के बाद गिरफ्तार किया है, पुलिस ने बताया यह लोग इलीगल कॉल एक्सचेंज कर के इंटरनेट गेटवे सर्वर के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कॉल को भारतीय नंबर में बदल देते थे जब कोई भारतीय अंतरराष्ट्रीय कॉल को रिसीव करता तो उनके फोन कॉल पर भारतीय लोकेशन और भारतीय नंबर शो होता था, गेटवे सर्वर के माध्यम से यह लोग भारत सरकार के टेलीकॉम डिपार्टमेंट से अंतरराष्ट्रीय कॉल को छुपा लेते थे जिससे भारत सरकार को रेवेन्यू में भारी नुकसान होता था दरअसल बीते दिनों एक निजी टेलीकॉम कंपनी ने पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई की कुछ अंतरराष्ट्रीय कॉल पर उनके कंपनी के लोकल नंबर शो हो रहे हैं, शिकायत मिलते हैं सेक्टर 58 पुलिस हरकत में आई और सेक्टर 62 के आइटम टावर में चलाए जा रहे कॉलर एक्सचेंज करने वाले कंपनी पर छापा मारा और मौके से 3 लोगों को गिरफ्तार किया, पुलिस ने बताया इस कंपनी के मुख्य अभियुक्त मोहसिन है जो मुंबई से पूरे कॉल एक्सचेंज को चला रहा था वही नोएडा में मुरादाबाद निवासी ओवैस टेक्निकल सपोर्ट दे रहा था, ओवैस ने अपने घर में भी कॉल एक्सचेंज का गेटवे सर्वर लगा रखा है जिसे कॉल एक्सचेंज करता था।
इंडियन टेलीकॉम सर्विसेज के अधिकारियों ने बताया कि उनके पास बीते दिनों टाटा टेलीकॉम की एक शिकायत आई जिसमें यह बताया गया कि उनके यूजर्स को अंतरराष्ट्रीय कॉल पर भारतीय नंबर शो रहा हैं और लोकेशन भी भारतीय बताया जा रहा हैं कंपनी को यह अंदेशा है किसी तरह की इलीगल गतिविधि चलाया जा रहा है इंडियन टेलीकॉम सर्विस को सूचना मिलते ही टाटा टेलीकॉम के साथ सेक्टर 58 पुलिस को पूरे मामले की शिकायत दर्ज कराई, टाटा टेलीकॉम ने बताया की जो कंपनी कॉल एक्सचेंज का काम कर रही है उन्होंने टाटा का गेटवे सर्वर ले रखा है उस गेटवे सर्वर का इंटरनेट के माध्यम से इस्तेमाल कर यह कंपनी इलीगल तरीके से अंतरराष्ट्रीय कॉल को एक्सचेंज कर भारतीय नंबरों में बदल देते थे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कॉल का कॉल रेट बहुत ज्यादा होते हैं तो उसे भारतीय नंबरों है बदलने से कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा था, जिस कारण भारत सरकार को भी रोजाना के 20 से 25 लाख रुपये के रेवेन्यू का नुकसान हो रहा था।