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नोएडा प्राधिकरण की ओर से सेक्टर-151 ए में हेलीपोर्ट बनाने की डीपीआर शासन स्तर पर पास, मंजूरी का इंतजार

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नोएडा । नोएडा प्राधिकरण की ओर से सेक्टर-151 ए में हेलीपोर्ट बनाया जाना है। इसको लेकर जल्द ही टेंडर की प्रक्रिया को शुरू किया जा सकता है, क्योंकि लखनऊ में इंफ्रास्ट्रक्चर एवं औद्योगिक विकास अतिरिक्त मुख्य सचिव अरविंद कुमार के समक्ष नोएडा प्राधिकरण की ओर से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का प्रस्तुतीकरण दे दिया है। अधिकारियों के प्रस्तुतीकरण से एसीएस काफी हद तक संतुष्ट नजर आए। वित्तीय जांच के बाद शासन से डीपीआर को मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद निर्माण कंपनी का चयन किया जाएगा। कंपनी पीपीपी माडल पर निर्माण कर हेलीपोर्ट का संचालन करेगी।

सितंबर 2022 तक किया जाएगा पूरा

परियोजना के सामरिक महत्व को देखते हुए सितंबर 2022 तक इसे पूरा कर लिया जाएगा। विगत वर्ष अगस्त में प्राधिकरण ने परियोजना के लिए सलाहकार कंपनी के रूप में राइट्स का चयन किया था। डीपीआर में एक आर्थिक सर्वे, डिजाइन के आधार पर साइट का अवलोकन व परियोजना से संबंधित अन्य तकनीकी विवरण शामिल हैं।

43 करोड़ रुपये का बजट

परियोजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल पर तैयार की गई है। प्राधिकरण की और से अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, मुख्य महाप्रबंधक के अलावा सलाहकार कंपनी ने शासन के समक्ष डीपीआर का प्रस्तुतीकरण किया। हेलीपोर्ट निर्माण के लिए कास्टिंग के आधार पर 43 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है। परियोजना दस एकड़ भूमि में विकसित की जाएगी। इसका टर्मिनल भवन 500 वर्ग मीटर में बनाया जाना है।

हेलीकाप्टर के लिए किया दो तरह से किया जाएगा डिजाइन

डीपीआर के अनुसार यहां बनाए जाने वाले हेलीपोर्ट को दो तरह के हेलीकाप्टर के लिए डिजाइन किया जाएगा। इसमें एमआई-172 यह इसकी क्षमता 25 मुसाफिरों की होगी। दूसरा बेल-412 इसकी क्षमता 12 सीटर की है। इन दोनों हेलीकाप्टर के लिए यहां 52 गुणा 52 मीटर का हेलीपेड, दस मीटर चौड़ा टेक्सी-वे, पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग 20 गुणा 25 मीटर की होगी वहीं 52 गुणा 135 मीटर का एपरान, हेंगर, 50 वाहनों की कार पार्किंग भी होगी।

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पीपीपी मॉडल पर किया जाएगा संचालन

हेलीपोर्ट के निर्माण से लेकर इसके संचालन तक में प्राधिकरण को एक रुपये भी खर्च नहीं करना होगा। कंपनी के साथ प्राधिकरण का 30 साल का अनुबंध किया जाएगा। साथ ही अनुबंध के तहत प्राधिकरण को प्रत्येक मुसाफिर के हिसाब से जो भी तय होगा संचालित करने वाली कंपनी को देना होगा। ऐसे में प्राधिकरण को इससे राजस्व ही मिलेगा।

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