नोएडा। ब्रिटेन की राजधानी लंदन में प्रापर्टी का वारिस बनाने के नाम पर आइटी इंजीनियर से 60 लाख रुपये की ठगी करने वाले एक गिरोह का साइबर क्राइम थाने ने पर्दाफाश किया है। पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपित ने वर्ष 2019 में इंजीनियर को ई-मेल कर करोड़ों कीं संपत्ति का वारिस बनाने का लालच दिया था। इस गिरोह के तीन आरोपित पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं। यह गिरोह बरेली से संचालित किया जा रहा है। जो इस तरह से मेल भेजकर लोगों के साथ ठगी कर रहा है। पुलिस ने शुक्रवार को बरेली के गांव तिलयापुर निवासी अकीलुद्दीन, अनीस अहमद तथा असलीम खान को गिरफ्तार कर लिया। इनमें अकीलुद्दीन और अनीस दसवीं पास हैं और असलीम खान आठवीं पास है। पुलिस गिरोह के अन्य बदमाशों के बारे में पता लगा रही है। गिरफ्तार तीनों आरोपितों को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया। जहां से तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस अधीक्षक (साइबर अपराध) डॉ. त्रिवेणी सिंह ने बताया कि ग्रेटर नोएडा की गौर सिटी प्रथम के पार्क एवेन्यू निवासी तरुण वाष्ण्रेय आइटी इंजीनियर हैं। आठ जनवरी 2019 को उन्हें एक मेल आई थी, जिसमें मेल भेजने वाले ने खुद को ब्रिटेन का एडवोकेट ब्रुज ऐडी बताया था। ई-मेल में एडवोकेट ने बताया कि लंदन में रहने वाले ब्रज वाष्ण्रेय की वर्ष 2005 में एक सड़क दुर्घटना में सपरिवार मौत हो गई थी। उनकी संपत्ति का वारिस बनने के लिए वह वाष्ण्रेय गोत्र के किसी शख्स की तलाश कर रहे थे। इस कारण एडवोकेट की तरफ से तुषार को प्रस्ताव दिया गया कि मृतक ब्रज वाष्ण्रेय के बैंक खाते में 12.5 मिलियन पाउंड हैं और जमीन उनके नाम हैं। पूरी संपत्ति व नकदी तरुण को वह दिलवा देगा। इसके बदले में वह पचास फीसदी हिस्सा लेगा। इस पर तरुण तैयार हो गए तो ब्रिटेन के एटार्नी जनरल की तरफ से तुषार के पास एक मेल आया। इसमें कहा गया कि लंदन की नैटिकस बैंक में जमा रकम को रिलीज कराने के लिए फार्म भरना होगा। जब तरुण ने फार्म भर दिया तो नैटिकस बैंक की तरफ से फिर मेल आया। इसमें बताया गया कि पूरी रकम 12.5 मिलियन पाउंड मुंबई के आरबीआइ में जमा कर दी गई है। कुछ देर में ही आरबीआइ के विदेशी मुद्रा विनिमय विभाग देहरादून से मेल आने लगे। जिसमें वारिसान परिवर्तन, विदेशी करेंसी को भारतीय मुद्रा में बदलने और कस्टम ड्यूटी आदि के नाम पर 60 लाख रुपये जमा करा लिए गए थे। इसके बाद इस मामले में बिसरख थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। बाद में यह मामला साइबर क्राइम थाने को ट्रांसफर कर दिया गया था।
गिरोह का सरगना अभी फरार
सबसे पहले इस मामले की रिपोर्ट बिसरख थाने में दर्ज हुई थी। बाद में इसकी जांच साइबर थाने में ट्रांसफर हो गई थी। इस मामले में पुलिस द्वारा पूर्व में गिरफ्तार किए गए तीन आरोपितों में गुरुग्राम निवासी दंपति और एक अन्य आरोपित शामिल है। अब तक इस मामले में कुल छह आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। गिरोह का सरगना फरार है। जो कई लोगों के साथ इस तरह की ठगी कर चुका है।
बीस हजार देकर खुलवाते थे फर्जी खाते
पुलिस पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि ये लोग बरेली के दंतिया गांव के रहने वाले जाबिर और राशिद से आइडी व अन्य दस्तावेज लेकर आधार कार्ड में नाम पता बदलकर हरियाणा, पंजाब से लेकर अन्य राज्यों में बैंक खाते खुलवाते हैं। उनका एटीएम, पासबुक, चेकबुक, रजिस्टर मोबाइल नंबर अपने पास रख लेते हैं। इसके बदले में प्रति बैंक खाता 20 हजार रुपये देते थे। जाबिर और राशिद ने इस गिरोह के लिए करीब 95 बैंक खाते खुलवाए हैं। पुलिस को अभी 25 खातों में 13 लाख रुपये मिले हैं, जिसे फ्रिज करा दिया गया है। आरोपितों के पास से तीन मोबाइल, पांच डेबिट कार्ड व प्रेस कार्ड सहित अन्य कागजात मिले हैं।