नीरज शर्मा की खबर
बुलंदशहर। जिले के युवा सडक़ों पर घूमते बेसहारा पशुओं-जानवरों का सहारा बने हुए हैं। भूखे-प्यासे जानवरों को खाना और दूध-पानी पिलाते हैं। वहीं, घायल होने या बीमार मिलने पर खुद चिकित्सक बनकर उनके जख्मों पर मरहम भी लगाते हैं। क्षेत्रवासी भी उनके इस कदम की जमकर सराहना करते हैं।
जिले में काभी ऐसे पशु प्रेमी हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के वर्षों से सेवा करते आ रहे हैं। कोरोना काल के दौरान जिले के कई समाजसेवियों द्वारा बंदर और गाय को खाना खिलाकर सेवा का कार्य किया गया। वहीं, विश्व एनिमल दिवस पर नगर के युवाओं द्वारा पशुओं की सेवा पर किए जा रहे कार्य पर बातचीत की गई तो दोनों युवाओं ने निस्वार्थ भाव से सेवा करना बताया। वहीं, बेसहारा पशुओं की सेवा किए जाने पर कालोनी के लोगों ने युवाओं की जमकर सराहना की। नगर की पुलिस लाइन निवासी व्यापारी सौरभ अरोरा ने बताया कि बचपन में बेसहारा पशुओं को देखकर उनकी सेवा करने का मन करता था। जो धीरे-धीरे सच होने लगा। घर से दुकान निकलते समय रास्ते में जो भी बेसहारा भूखा जानवर मिलता है तो उसे खाना खिलाना नहीं भूलता हूं। वहीं, कुछ जानवरों के दुकान पर आने पर भी खाना खिलाता हूं। वहीं, घायल मिलने वाले पशुओं का उपचार करना तो मृत पशुओं के मिलने पर उन्हें दफनाता हूं। अब तक वह सैकड़ों घायल पशुओं का स्वयं के खर्च पर उपचार करा चुका हूं। बताया कि अब तो जीवन का मकसद बन गया है कि जहां पर भी बेसहारा पशु घायल अवस्था या भूखा-प्यासा मिलेगा, उसका उपचार व खाना-पानी की व्यवस्था करता रहूंगा। इससे उन्हें अच्छा महसूस होता है। उधर नगर के सिविल लाइन निवासी विभोर गोयल ने बताया कि लोगों को बेसहारा पशुओं की सेवा करते देखा तो स्वयं भी बेसहारा पशुओं की सेवा करने का प्रण लिया। बताया कि कालोनी के पास एक मां बच्चों को (कुत्तों के पिल्ले) जन्म देने के बाद खाने की तलाश में घूमते हुए बिजली का करंट लगने के कारण मौत हो गई थी। बिना मां के पिल्लों को प्रतिदिन दो माह से दिनभर में सुबह, दोपहर व शाम को पढ़ाई से समय निकालकर दूध पिलाना और खाना खिलाता हूं। इससे मन को एक अलग खुशी महसूस होती है। बताया कि जानवरों को घर पर पाल सकते हैं लेकिन जो बेसहारा जानवरों की सेवा करने से खुशी मिलती है वो अच्छी नस्ल वाले जानवरों की सेवा करने से कहा मिलेगी।