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बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई गरीब कोटे से बने सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर, सर्टिफिकेट जांच की उठी मांग

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी के भाई डॉ. अरुण कुमार द्विवेदी की सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में अल्प आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) में मनोविज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में हुई नियुक्ति पर सवाल उठने लगे हैं। जिस सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में उनकी नियुक्ति हुई है, वहां के कुलपति का कार्यकाल एक दिन पहले ही बढ़ाया गया था। मंत्री सिद्धार्थनगर जिले की ही इटवा सीट से विधायक हैं। डॉ. अरुण राजस्थान की वनस्थली विद्यापीठ में असिस्टेंट प्रोफेसर थे, ऐसे में इंटरनेट मीडिया पर उनके ईडब्ल्यूएस श्रेणी में नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए कई पोस्ट वायरल हो रही हैं। अब सवाल उठने के बाद सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति ने नियुक्ति प्रक्रिया को निष्पक्ष बताते हुए जांच कराने की बात कही है।

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु ने मनोविज्ञान संकाय में एसोसिएट प्रोफेसर के दो पदों के लिए आवेदन मांगा था। एक पद पिछड़ा व दूसरा अल्प आय वर्ग के लिए आरक्षित था। इटवा तहसील के शनिचरा निवासी व बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी के भाई डॉ. अरुण कुमार ने ईडब्ल्यूएस वर्ग में आवेदन किया, जबकि वह वनस्थली में असिस्टेंट प्रोफेसर थे। इसे उन्होंने अपनी फेसबुक प्रोफाइल में भी दिखाया है। ऐसे में डा. अरुण कुमार के अल्प आय वर्ग में नियुक्ति पर सवाल उठ रहा है।

मंत्री ने कहा- जिन्हें शक है वे जांच करवा लें : आरटीआइ एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल से शिकायत की है। वहीं, आम आदमी पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष व प्रवक्ता इंजीनियर इमरान लतीफ ने नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उधर, सोनभद्र में एक कार्यक्रम के दौरान आरोपों पर सफाई देते हुए मंत्री डा. सतीश द्विवेदी ने कहा कि उन्होंने नियुक्ति प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं किया है। जिन्हें शक है, वे जांच करवा सकते हैं।

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2019 का बताया जा रहा प्रमाण पत्र : हालांकि जांच सिद्धार्थ विश्वविद्यालय को करानी है, लेकिन बताया जा रहा है कि जो ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र लगा है, वह 2019 का है। लेखपाल छोटई प्रसाद ने पहले कहा कि उन्होंने कोई रिपोर्ट नहीं दी। बाद में बताया कि 2019 में रिपोर्ट लगाई थी, तब उनकी आय आठ लाख रुपये से कम थी। एसडीएम इटवा उत्कर्ष श्रीवास्तव ने बताया कि ईडब्लूएस प्रमाणपत्र तहसील से जारी किया गया है। अगर कोई शिकायत मिलती है तो नए सिरे से जांच कराएंगे।

अनियमितता मिलने पर नियुक्ति प्रक्रिया हो रद : सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे ने बताया कि  नियुक्ति प्रक्रिया 2019 में शुरू हुई थी। उनका प्रमाणपत्र तभी का है। आवेदन पत्र में वही प्रमाणपत्र लगाया गया है। प्रमाणपत्र की वैधता पर अब तक सवाल नहीं उठा है। यदि शिकायत मिलती है तो इसकी जांच कराई जाएगी। अनियमितता मिलने पर नियुक्ति प्रक्रिया निरस्त भी की जा सकती है।

आठ लाख से कम आय वाले ईडब्ल्यूएस : अल्प आय वर्ग का प्रमाणपत्र उन्हें जारी किया जाता है, जिनके परिवार की वार्षिक आय आठ लाख रुपये और कृषि भूमि पांच एकड़ से कम हो। घर है तो उसका क्षेत्रफल एक हजार वर्ग फीट से कम होना चाहिए। शहरी क्षेत्र में निवास है तो आवासीय प्लाट का क्षेत्रफल 100 वर्ग गज (900 वर्ग फीट) से कम होना चाहिए।

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