मसूरी(देहरादून)। पहाड़ों की रानी मसूरी का देश की आजादी और उनके नायकों से गहरा नाता रहा है। इसमें देश को एक सूत्र में पिरोने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल का नाम भी शुमार है। सरदार पटेल को भी मसूरी की वादियां खूब भाती थीं। अपने जीवनकाल में वह आधा दर्जन बार मसूरी आए। लौह पुरुष के नाम से विख्यात देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल की आज पुण्यतिथि है। देशभर के साथ ही उत्तराखंड में भी उन्हें और उनके योगदान को याद कर श्रद्धांजलि दी जा रही है।
इंडियन सिविल सर्विस का नाम बदलकर भारतीय प्रशासनिक सेवा करने का श्रेय सरदार वल्लभ भाई पटेल को ही जाता है। मसूरी में वह हैप्पीवैली स्थित बिरला हाउस और कैमल्स बैक रोड स्थित पदमपत सिंघानिया के कमला कैसेल में रुकते थे। यहां उनकी पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार बलदेव सिंह, मौलाना आजाद जैसे नेताओं के साथ देश की आजादी को लेकर मंत्रणा होती थी।
मसूरी प्रवास के दौरान सरदार पटेल ने कैमल्स बैक रोड पर रहने वाले ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि भारद्वाज से भी कई बार मुलाकात की। सरदार पटेल की ओर से उनके सचिव ने ऋषि भारद्वाज को 17 मई 1948 को एक पत्र भी लिखा था। इतिहासकार गोपाल भाराद्वाज बताते हैं कि सरदार पटेल ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि भारद्वाज से अक्सर अपनी सुपुत्री के विवाह के संबंध में मंत्रणा करते थे। ऋषि भारद्वाज ने मसूरी में उनकी पुत्री के विवाह के लिए अनुष्ठान और पूजा भी कराई थी।