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यूपी : अफसरों ने बना डाला फर्जी रोडवेज बस स्टेशन, चलवा रहे थे खराब बसें

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लखनऊ। रोडवेज अफसरों की कारगुजारी के एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। एक अफसर ने गुपचुप तरीके से सहारनपुर क्षेत्र में फर्जी बस डिपो बना डाला। बिना अनुमति दूसरे डिपो में तैनात कर्मियों को यहां रखा गया। इसकी भनक लखनऊ स्थित परिवहन निगम मुख्यालय के अफसरों तक को नहीं हुई। बीते चार दिसंबर को जलालाबाद में हुई एक बस दुर्घटना की जांच के दौरान मामला सामने आया। इससे अफसरों के होश उड़ गए। आनन-फानन में इस गंभीर मामले की तफ्तीश शुरू की गई। निगम के एमडी दीपक साहू ने पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।

सहारनपुर क्षेत्र में तैनात रहे इस अफसर के कारनामे से विभाग में हड़कंप मच गया। मुख्यालय की अनुमति लिए बगैर यह फर्जी डिपो बीते छह माह से चल रहा था। सहारनपुर में ही एक बंद पड़े बस अड्डे को डिपो में तब्दील कर दिया था। इस फर्जी डिपो में बसों की मरम्मत और संचालन का काम होता था। जबकि यहां किसी मानक का कोई पालन नहीं किया गया था। जलालाबाद डिपो के फर्जी नाम से उन बसों का संचालन कराया गया जो कंडम हो चुकी थीं और जिनकी निलामी होनी थी। हालांकि प्राथमिक जांच के दौरान यहां से टिकटों की बिक्री का कोई रिकार्ड भी नहीं मिला है।

बस हादसे में तीन की मौत के बाद खुली पोल

शाहजहांपुर स्थित जलालाबाद डिपो के नाम से चल रही बस (यूपी 42 एटी 0648) चार दिसंबर 2020 को जलालाबाद क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जांच में बस के ब्रेकफेल होने की बात सामने आई थी। हादसे में तीन यात्रियों की मौत हो गई थी। इस हादसे की जांच में पता चला कि बस दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले इसी फर्जी डिपो से होकर निकली थी।

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एमडी ने कई और बिंदुओं पर मांगी रिपोर्ट

एमडी ने इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों से और कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है। जिसमें कितनी बसें डिपो से संचालित हो रही थीं। इन बसों की संख्या और उसे सफर करने वाले यात्री लोड फैक्टर, डीजल औसत और प्रति बस आय के बारे में पूछा है। जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। धीरज साहू, प्रबंध निदेशक यूपीएसआरटीसी, लखनऊ का कहना है कि बिना अनुमति बस डिपो संचालन का मामला गंभीर है। इस मामले में विस्तृत आख्या मांगी गई है। जांच रिपोर्ट आने पर दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

इन बिंदुओं पर जांच

-मुख्यालय के रिकार्ड में जलालाबाद डिपो का अस्तित्व नहीं

-जुलाई 2020 से शुरू हुआ था फर्जी बस डिपो का खेल

-बिना अनुमति दूसरे डिपो में तैनात कर्मियों को रखा गया

-प्रतिदिन चल रही थी 100 किमी. बस, लोकेशन पता नहीं

-जांच में सुरक्षित बस यात्रा के 31 बिंदुओं का पालन किया

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