लखनऊ। गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 93 फीसद जमीन खरीदने के बाद राज्य सरकार ने देश की इस दूसरी सबसे बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजना को जमीन पर उतारने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित 594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप-टोल (डीबीएफओटी/डेवलप, बिल्ड, फाइनेंस, आपरेट एंड ट्रांसफर) माडल पर विकसित किया जाएगा। सरकार ने 36,230 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना के निर्माण के लिए बिडिंग प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी है। परियोजना को चार ग्रुप में विकसित करने का फैसला किया गया है। प्रत्येक ग्रुप में तीन पैकेज (हिस्से) होंगे।
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में चार ग्रुपों में एक्सप्रेसवे के विकासकर्ताओं के चयन के लिए प्रत्येक ग्रुप के लिए टेंडर दस्तावेजों (आरएफपी/रिक्वेस्ट फार प्रपोजल व आरएफक्यू/रिक्वेस्ट फार क्वालिफिकेशन) पर मुहर लगी। कैबिनेट बैठक के बाद इस फैसले की जानकारी एमएसएमई मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि परियोजना के चार ग्रुपों के लिए अलग-अलग आरएफक्यू-कम-आरएफपी जारी कर उनके सापेक्ष कन्सेशनायर्स (विकासकर्ताओं) का चयन किया जाएगा। इसके लिए 30 वर्ष का कंसेशनायर एग्रीमेंट किया जाएगा। बिडिंग प्रक्रिया 60 दिन में पूरी कर ली जाएगी।
यह होंगी विशेषताएं : कैबिनेट ने गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना की तकनीकी व अन्य संरचनाओं को भी मंजूरी दी है। यह एक्सप्रेसवे छह लेन चौड़ा होगा, जिसे आठ लेन में तब्दील किया जा सकता है। इस पर आठ लेन की चौड़ाई में संरचनाओं का निर्माण होगा। एक्सप्रेसवे के राइट आफ वे की चौड़ाई 130 मीटर प्रस्तावित है। एक्सप्रेसवे के एक ओर 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस रोड बनायी जाएगी, जिससे आसपास के गांवों के निवासियों को सुगम आवागमन की सुविधा मिल सके। विमानों की लैंडिंग व उड़ान भरने के लिए एक्सप्रेसवे पर शाहजहांपुर के समीप हवाई पट्टी भी बनायी जाएगी। एक्सप्रेसवे पर 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन चल सकेंगे। इस पर विभिन्न स्थानों पर नौ जनसुविधा परिसर विकसित किये जाएंगे। मेरठ और प्रयागराज में एक-एक मुख्य टोल प्लाजा होंगे, जबकि रैंप टोल प्लाजा की संख्या 15 होगी। एक्सप्रेसवे पर गंगा नदी पर 960 मीटर और रामगंगा नदी पर 720 मीटर लंबे दो बड़े सेतु होंगे।
12 जिलों से गुजरेगा एक्सप्रेसवे : गंगा एक्सप्रेसवे प्रदेश के जिन 12 जिलों से गुजरेगा, उनमें मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज शामिल हैं। यह मेरठ में मेरठ-बुलंदशहर मार्ग (एनएच-334) पर बिजौली गांव के पास से शुरू होगा और प्रयागराज में एनएच-19 (बाईपास) पर जूडापुर दांदू गांव के पास खत्म होगा।
36,230 करोड़ रुपये है लागत : परियोजना की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपये है। इसमें सिविल कार्य व निर्माण की आकलित लागत लगभग 22,125 करोड़ रुपये है। परियोजना के लिए आवश्यक जमीन खरीदने के लिए 9255 करोड़ रुपये की जरूरत होगी।
यह होंगे फायदे : परियोजना से जुड़े 12 जिलों के लिए प्रदेश की राजधानी तथा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से देश की राजधानी तक त्वरित गति की सुगम यातायात की सुविधा उपलब्ध होगी। एक्सप्रेसवे वाहनों के ईंधन की बचत के साथ प्रदूषण नियंत्रण में भी सहायक होगा। एक्सप्रेसवे के आसपास के क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के साथ कृषि, वाणिज्य, पर्यटन तथा उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। यह एक्सप्रेसवे अगल-बगल के क्षेत्रों में विभिन्न उत्पादक इकाइयों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को प्रदेश व राष्ट्रीय राजधानी से जोडऩे के लिए औद्योगिक कारिडोर के रूप में सहायक होगा। हैंडलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, मंडियों और दुग्ध आधारित उद्योगों आदि की स्थापना के लिए उत्प्रेरक के रूप में सहायक होगा। इसके पास इंडस्ट्रियल ट्रेङ्क्षनग इंस्टीट््यूट, शिक्षण व मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना के अवसर भी उपलब्ध होंगे। परियोजना के निर्माण और उसके समीप शिक्षण संस्थाओं, कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना से 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
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