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ये कैसा शिक्षा का अधिकार ,पढ़ाई की जगह करनी पढ़ रही दिवार पेंट

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ये कैसा शिक्षा का अधिकार ,पढ़ाई की जगह करनी पढ़ रही दिवार पेंट

शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का अधिकार है जिसके लिए कानून ने भी राइट टू एजुकेशन का अधिकार दिया है जिसके चलते हर बच्चे को शिक्षा दिया जाना अनिवार्य है लेकिन ऊँची बिल्डिगों के बड़े बड़े  प्राइवेट स्कूल इस शिक्षा के अधिकार का कैसा  मज़ाक बना रहे है इसका आज पता चला और उनकी हरकत कैमरे में कैद हो गयी जब ग्रेटर नोएडा के नामी  स्कूल ने अपने स्कूल में राइट टू एजुकेशन के तहत पढ़ने वाले गरीब बच्चो से स्कूल की पूरी दिवार को ही पेंट करा डाला। एक्टिविटी के नाम पर मासूम बच्चो के साथ किये गए इस सौतेले बर्ताव के बाद प्रशाशन ने जांच के आदेश दिए है तो वही समाजसेवियों ने कड़ी कारवाही की बात कही है। स्कूल प्रबंधन एक्टिविटी का रोना रो रहा  अपने हाथो से दिवार को रंग रहा ये बच्चा कोई मजदुर नहीं है बल्कि ये बच्चा इसी स्कूल का छात्र है जिसके हाथो में किताब और पेन होना चाहिए उसके हाथो में ब्रुश और पेंट लगा है इस बच्चे के अलावा और भी बच्चे इसी काम को कर रहे है लेकिन ये सभी वही स्टूडेंट है जो RTE के तहत यहाँ पढ़ते है । दरसल ये पूरा मामला ग्रेटर नोएडा के कासना थाना क्षेत्र के फादर एंगल स्कूल का है आज स्कूल प्रबंधन ने राइट टू एजुकेशन के तहत इस स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चो से स्कूल में मजदुर की तरह कार्य कराया है ये वो गरीब बच्चे है जिनमे पढ़ने का तो बहुत हुनर है लेकिन उनकी गरीबी उनके आड़े आ जाती है इसी के लिए प्रशाशन ने इनको RTE के तहत इस स्कूल में पढ़ने का अधिकार दिया है लेकिन स्कूल में एक्टिविटी के नाम पर स्कूल प्रबंधन इन बच्चो से सौतेला  बर्ताव करते हुए मजदूरों की तरह दिवार को रंगवा रहा है। 

 
 इस पुरे मसले पर जब हमने स्कूल प्रबंधन से बात की तो वो एक्टिवटी के नाम पर बात को टालते रहे और कैमरे पर बातो को घुमा फिराते रहे वही जब हमने इस बात को लेकर जिलाधिकारी बीएन सिंह से बात की तो उन्होंने साफ़ तौर पर कहा की इस मामले की जाँच की जाएगी और कुछ भी गलत हुआ तो कड़ी कारवाही की जाएगी। ग्रेटर नोएडा के समाज सेवी भी इस प्रकरण के बाद क्षुब्द दिखे और स्कूल की इस निति को गलत बताया और प्रशाशन से कड़ी और शख्त कारवाही की बात कही 
 
सवाल ये उठता है की आखिर स्कूल क्यों ऐसे बच्चो के साथ पक्षपात की निगाह से देखता है क्या गरीब होना अभिशाप है इतनी बड़े स्कूल में पढ़ने के बाद भी आखिर क्यों इन बच्चो से मजदूरों जैसा कार्य कराया जा रहा है। क्या स्कूल प्रबंधन के द्वारा कराई जाने वाली ये एक्टिवि ठीक है जो बच्चो को दूसरे बच्चो से अलग करती है

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