Home Breaking News योगी सरकार ने दी बड़ी राहतः कोरोना काल में दर्ज तीन लाख मुकदमे वापस
Breaking Newsउत्तरप्रदेशराजनीतिराज्‍य

योगी सरकार ने दी बड़ी राहतः कोरोना काल में दर्ज तीन लाख मुकदमे वापस

Share
Share

लखनऊ। विश्वव्यापी कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार ने देशभर में लाकडाउन लागू किया था। लाकडाउन के दौरान प्रोटोकाल का सख्ती से पालन कराने के लिए कड़ी बंदिशें लगाई गईं थीं। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर कानूनी शिकंजा भी कसा गया। कोविड प्रोटाकाल और लाकडाउन उल्लंघन से जुड़े मामलों को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला किया है।

कोविड प्रोटोकाल और लाकडाउन उल्लंघन को लेकर दर्ज हुए मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया अब शुरू होगी। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इसकी घोषणा तो पहले ही कर चुकी थी, लेकिन अब न्याय विभाग द्वारा इस संबंध में शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि जनता पर कम गंभीर अपराध की धाराओं में दर्ज जिन मुकदमों में न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल हो चुका है, अब वह भी वापस लिए जाएंगे। शासनादेश में पूर्व व वर्तमान सांसद, विधायक और एमएलसी पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात नहीं है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले घोषणा की थी कि व्यापारियों पर कोविड प्रोटोकाल और लाकडाउन उल्लंघन को लेकर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएंगे। फिर यह फैसला सभी आमजन के लिए किया गया। अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए मंगलवार को शासनादेश जारी कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005, महामारी अधिनियम-1897, भादवि की धारा-188 और इससे संबद्ध अन्य कम गंभीर अपराध की धाराओं (दो वर्ष से कम सजा वाली) में लगभग तीन लाख मुकदमे पंजीकृत हैं। वर्तमान और पूर्व सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों को छोड़कर जिन मुकदमों में आरोप-पत्र दाखिल हो चुके हैं, वह वापस लिए जाएंगे।

See also  तिहाड़ जेल में गैंगस्टर अंकित गुर्जर की मौत का मामला, डिप्टी जेलर के खिलाफ हत्या का केस दर्ज

प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव की ओर से जारी इस शासनादेश में उल्लेख किया गया है कि गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र लिखा गया था। उसमें कहा गया था कि कोविड-19 प्रोटोकाल के उल्लंघन में दर्ज मुकदमों की समीक्षा की जाए, जिससे सामान्य नागरिकों को अनावश्यक अदालती कार्यवाही का सामना न करना पड़े। पत्र में समीक्षा के बाद मुकदमे वापसी पर विचार का सुझाव दिया गया था, जिसे स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार ने यह प्रक्रिया आगे बढ़ाने का फैसला किया है।

उच्च न्यायालय ने भी तीन माह में इन मुकदमों को खत्म करने संबंधी आदेश आठ अक्टूबर को पारित किया था। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि जिन मुकदमों में आरोप-पत्र दाखिल नहीं हुए हैं, उन्हें खत्म करने के आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं।

जनप्रतिनिधियों के लिए अलग प्रक्रिया : न्याय विभाग के संबंधित शासनादेश में पूर्व व वर्तमान सांसद, विधायक और एमएलसी पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात नहीं है। स्पष्ट लिखा है कि ‘इन्हें छोड़कर’ आमजन के मुकदमे वापस लिए जाएं। इस संबंध में विधि मंत्री बृजेश पाठक का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जनप्रतिनिधियों के मुकदमे वापसी की अलग प्रक्रिया होती है। नियमानुसार वह प्रक्रिया भी चल रही है।

Share
Related Articles
Breaking Newsव्यापार

Flipkart का IPO से पहला बड़ा कदम, सिंगापुर से ‘घर वापसी’ की तैयारी, जानिए क्यों किया जा रहा है ऐसा

नई दिल्ली: ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट को कथित तौर पर कंपनी के बेस या...

Breaking Newsखेल

‘थप्पड़ कांड’ से गरमाया माहौल, सीधे जमीन पर गिरा खिलाड़ी, VIDEO वायरल

IPL में हरभजन सिंह और एस. श्रीसंत के बीच का ‘थप्पड़ कांड’...