Home Breaking News रामजन्मभूमि केस का टर्निग पॉइंट बताया संघ समर्थित किताब में 1949 की घटना को
Breaking Newsउत्तरप्रदेशधर्म-दर्शनराज्‍यराष्ट्रीय

रामजन्मभूमि केस का टर्निग पॉइंट बताया संघ समर्थित किताब में 1949 की घटना को

Share
Share

नई दिल्ली| श्री राम जन्मभूमि पर हाल में जारी हुई एक किताब में वर्ष 1949 में हुई घटनाओं को राम मंदिर केस का टनिर्ंग पॉइंट बताया गया है। इस किताब का बीते 31 जुलाई को दिल्ली में संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने विमोचन किया था। अयोध्या स्थित श्रीरामजन्मभूमि में वर्ष 1949 में मूर्ति के प्रकट होने आदि की घटनाओं से लेकर तत्कालीन डीएम और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच हुए पत्राचारों पर किताब में कुल 10 पेज में जानकारी दी गई है। इस पूरे घटनाक्रम को 1949-द टर्निग पॉइंट शीर्षक के अंतर्गत बयां किया गया है।

डॉ. विनय नालवा और आरएसएस से जुड़े इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र के निदेशक अरुण आनंद की ओर से लिखित पुस्तक ‘रामजन्मभूमि : ट्रथ, एविंडेंस, फेथ’ में कहा गया है कि यूं तो वर्ष 1528 में मंदिर गिराने और उसकी जगह मस्जिद बनाने के बाद से ही अयोध्या स्थित श्रीरामजन्मभूमि संघर्षों की साक्षी रही है, लेकिन राम जन्मभूमि केस ने तब अहम मोड़ लिया, जब देश की आजादी के दो साल बाद वर्ष 1949 में उप्र सरकार के सामने राम जन्मभूमि पर विशाल मंदिर बनाने की मांग उठी।

श्रद्धालुओं की ओर से 20 जुलाई, 1949 को लिखे इस पत्र पर उत्तर प्रदेश सरकार ने फैजाबाद के तत्कालीन डीएम केकेके नायर से जवाब मांगा था। तब डीएम ने 10 अक्टूबर, 1949 को भेजी रिपोर्ट में कहा था, हिंदुओं की ओर से रामजन्मभूमि पर एक विशाल मंदिर खड़ा करने की मांग की गई है।” डीएम ने 16 दिसंबर, 1949 को एक और पत्र होम सेक्रेटरी को लिखते हुए साइट प्लान भी भेजा, जिसमें जन्मभूमि पर मंदिर और मस्जिद की स्थिति भी दिखाई गई थी।

See also  कारोबारियों के लिए वरदान साबित हुई धनतेरस, देशभर में लोगों ने जमकर की खरीदारी

पत्र में यह भी बताया गया कि 22-23 दिसंबर, 1949 की रात रामलला के खुद गर्भगृह में प्रकट होने की बात अनुयायियों ने कही, जबकि राम मंदिर का विरोध करने वालों ने जानबूझकर मूर्ति रखे जाने का आरोप लगाया। इस मामले में 23 दिसंबर, 1949 को सब इंस्पेक्टर राम देव दूबे ने एक एफआईआर भी दर्ज की। जब राज्य सरकार ने मूर्तियों को हटाकर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा तो डीएम नायर ने कहा कि मूर्तियों को हटाना मुनासिब नहीं है, और इससे हिंसा फैल सकती है। राज्य सरकार के आदेश के बावजूद 27 दिसंबर, 1949 को डीएम ने मूर्तियों को हटाने से इंकार कर दिया।

बीते 31 जुलाई को विमोचित हुई इस किताब में बताया गया है कि डीएम फैजाबाद ने 26 और 27 दिसंबर, 1949 को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में इस बात की आलोचना की थी कि सरकार मामले में अतिरिक्त रुचि लेते हुए मूर्तियों को हटवाने की कोशिश कर रही है। डीएम ने यह भी कहा था कि 22-23 दिसंबर की मध्य रात्रि हुई घटना का प्रशासन को अंदाजा नहीं था।

26 दिसंबर, 1949 को लिखे पत्र में डीएम फैजाबाद ने तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी भगवान सहाय से कहा था कि मूर्ति की घटना जनभावनाओं से जुड़ी है, और किसी भी तरह की कार्रवाई पर भावनाएं भड़क सकतीं हैं।

इस किताब में कुल नौ अध्याय हैं, जिसमें राम और रामायण से लेकर पिछले साल मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आए आदेशों पर जानकारियां हैं। यह किताब मंदिर से जुड़े तमाम साक्ष्यों, दस्तावेजों के आधार पर लिखी गई है।

Share
Related Articles
Breaking Newsअपराधराष्ट्रीय

पहलगाम हमला: चरमपंथियों ने पर्यटकों पर चलाई गोलियां, 20 से अधिक लोगों की मौत

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में दिल दहला देने वाला आतंकी हमले के बाद...