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लद्दाख में वायुसेना कर रही सेना के साथ मिलकर अभ्यास, समय आने पर होगा दुश्‍मन पर सटीक प्रहार

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जम्मू। पूर्वी लद्दाख की गलवन घाटी में चीनी सेना के साथ हिंसक संघर्ष के बाद अपनी ऑपरेशनल तैयारियों को धार देने के लिए थलसेना और वायुसेना लद्दाख में मिलकर अभ्यास कर रही हैं। संदेश साफ है, वक्त आने पर दुश्मन पर सटीक संयुक्त प्रहार भी किया जाएगा।

थलेसना और वायुसेना अपनी भावी रणनीति पर कर रही हैं काम

हाई अल्टीट्यूड माउंटेन वारफेयर की रणनीति के तहत आर्टिलरी दुश्मन की तोपों को तबाह करती है। इन्फैंट्री दुश्मन के खेमे के बीच पहुंचकर हाथों से लड़ाई कर दुश्मन को धकेलती है। वहीं वायुसेना दुश्मन के ठिकानों पर बमबारी व मिसाइलों से निशाना बनाकर थलसेना को आगे बढ़ने के लिए कवर देती है। इस समय पूर्वी लद्दाख में थलेसना, वायुसेना अपनी भावी रणनीति पर काम कर रही हैं। ऐसे में बेहतर समन्वय बनाकर आर्टिलरी की तोपों, हथियारों व सैनिकों को फौरन फ्रंट पर पहुंचाने के लिए मुहिम भी जारी है।

अभ्यास में सुखोई 30 के साथ चिनूक हेलीकाप्टर ले रहे हिस्सा

अभ्यास में वायुसेना के सुखोई 30-एमके आइ के साथ ट्रांसपोर्ट विमान व चिनूक हेलीकॉप्टर भी हिस्सा ले रहे हैं। साजो सामान पहुंचाकर क्षेत्र में सेना की ताकत और बढ़ाने के लिए वायुसेना के विमान चंडीगढ़ से लगातार लद्दाख के लिए उड़ान भर रहे हैं। थलसेना व वायुसेना प्रमुख के हाल ही के पूर्वी लद्दाख के दौरों के बाद क्षेत्र की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना और वायुसेना के हौसले बुलंद हैं।

चीन को सबक सिखाने से पहले अपनी हर संभव तैयारी बहुत जरूरी

सूत्रों के अनुसार, पूर्वी लद्दाख में गलवन के खूनी संघर्ष के बाद तनाव कम होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। गलवन, पैंगांग त्सो व दौलत बेग ओल्डी इलाकों में चीन की चालबाजी बरकरार हैं। पाकिस्तान की तरह चीन पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। इसलिए सेना व वायुसेना क्षेत्र में चौकसी में किसी प्रकार की कमी नहीं कर रही है। वे सभी तैयारियां की जा रही हैं जो मौजूदा हालात में जरूरी हैं।

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क्षेत्र में तैनात रह चुके सेना के कर्नल वीरेन्द्र कुमार साही का कहना है कि चीन को सबक सिखाने से पहले अपनी हर संभव तैयारी बहुत जरूरी है। चीन धोखा देने वाला देश है। मौजूदा हालात में वायुसेना व सेना का अभ्यास समय की मांग भी है।

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