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लोग मर रहे हैं; लेकिन किसी को कोई परवाह नहीं, सरकार शपथ पत्र- शपथ पत्र खेल रही है

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रांची। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख कोरोना के बढ़ते प्रकोप से बचाव के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है। प्रेषित पत्र में कहा है कि महामारी तेजी से फैल रही है। देश भर में झारखंड पांचवें स्थान पर है, जहां संक्रमण दर सबसे अधिक है। सरकार मेडिकल इमरजेंसी घोषित करे। कोरोना से लड़ने के लिए अविलंब मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर तथा पारामेडिकल कर्मी और डॉक्टरों की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने सलाह दी है कि ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री को एक सर्वदलीय बैठक बुलाना चाहिए और वेबिनार के माध्यम से जनता से संवाद करना चाहिए।

कोरोना पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो स्थिति होगी भयावह : हाई कोर्ट

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच स्वास्थ्य सेवाओं हालात पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली ध्वस्त हो गई है। अस्पताल में बेड नहीं है और कोरोना से मौतें बढ़ गई हैं। सैंपल लेने के एक सप्ताह तक जांच रिपोर्ट नहीं आ रही है।

रिम्स में मात्र तीन आरटीपीसीआर मशीन है। सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजा जा रहा है। अदालत ने कहा कि जल्द ही हालात पर काबू नहीं पाया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है। इस समय सभी को गंभीरता से काम करना होगा। स्वास्थ्य सचिव सिर्फ कोर्ट में आकर मूर्ति की तरह बातें सुनते हैं, लेकिन उन्हें धरातल पर काम करना होगा। अदालत ने स्थिति से निपटने के लिए होटल और बैंक्वेट हॉल को आइसोलेशन सेंटर बनाने का सुझाव दिया।

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अदालत ने इस मामले पर प्रगति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 17 अप्रैल को निर्धारित की गई है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पिछले एक साल से रिम्स की बदहाली पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। एक साल से आम लोगों के हित में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने का निर्देश कोर्ट दे रहा है, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। रिम्स में कई जांच मशीन नहीं है। यहां पर पूरे राज्य से मरीज आते हैं। राज्य की स्वास्थ्य सेवा बेहतर नहीं होने से इलाज के लिए लोगों को रिम्स आना पड़ रहा है। जबकि रिम्स दबाव झेलने की स्थिति में नहीं है।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य के निजी अस्पतालों के 50 फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं। हर दिन 35 हजार से अधिक टेस्ट हो रहे हैं। सरकार स्थिति में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। अदालत को बताया कि रिम्स की गवर्निंग बाडी की बैठक हो रही है। इसमें सीटी स्कैन और अन्य मशीन खरीदने के प्रस्ताव पर चर्चा भी की जाएगी। इस पर अदालत ने 17 अप्रैल को प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान अदालत में सदर अस्पताल में इलाज के बगैर एक कोरोना मरीज की मौत का मामला भी उठाया गया।

इस पर अदालत ने कहा कि स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। यदि तत्काल स्थिति पर काबू नहीं पाया गया, तो लोगों का आक्रोश बढ़ेगा। यह अच्छा संकेत नहीं है। सुनवाई के दौरान रांची के नगर आयुक्त ने अदालत को बताया गया कि हरमू शवदाह गृह की मरम्मत का काम एक दो दिन में पूरा हो जाएगा। इस शवदाह गृह का लोग कम इस्तेमाल करते थे। अप्रैल माह में 62 से अधिक शव जलाए गए हैं। घाघरा शवदाह गृह का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है।

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सदर अस्पताल के अवमानना मामले में हुई सुनवाई

इस दौरान अदालत ने सदर अस्पताल से जुड़े अवमानना मामले की सुनवाई की। सरकार की ओर से बताया गया कि सदर अस्पताल में 280 बेड पर आक्सीजन लगाया जा रहा है, ताकि कोरोना मरीजों को भी यहां पर इलाज किया जा सके। इस पर अदालत ने कहा कि अब सरकार को यह बात समझ में आ रही है, जबकि 500 बेड चालू करने का आदेश बहुत पहले दिया गया है। अगर सारा काम समय पर पूरा हो गया होता तो लोग तीन सौ बेड का लाभ उठाते।

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